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________________ arcare का इतिहास आपका स्वागत किया । ‘टर्फ क्लब' में उन सैनिकों द्वारा, जिन्होंने यूरोपीय महायुद्ध के समय जोधपुर रिसाले के साथ रहकर कार्य किया था, वर्णन किए गए अपने रिसाले के वीरता पूर्ण कार्यों को सुनकर आपको अपार हर्ष हुआ। साथ ही आपने अप्रकट रूप से अनेक देशों के लोगों से भरे नगर के अन्य अनेक भागों को भी देख डाला । इसके अलावा कारो और मारवाड़ के लोगों के गाने में खासी - भली समानता को जानकर भी आपको प्रसन्नता हुईं । घूमकर यहां से आप रेल द्वारा सईद बन्दर (Port Said) पहुँचे और वहां से पी० एण्ड ओ० कम्पनी के मलोया (Maloya) जहाज द्वारा बम्बई आए । इसके बाद वि० सं० १९९१ की चैत वदि १० ( ई० स० १९३५ की २९ मार्च) को आप अपने अनुचरों सहित जोधपुर पहुँचे । आपके दूसरे नौकर भारी-भारी सामान और शिकार किए हुए पशुओं को लेकर मोंबासा से सीधे ही रवाना हो गए थे । अतः यथा - समय वे पशु आदि मसाले से भरे जाकर आपके महलों में सजा दिए गए हैं, और वहां पर वे बन्दूक द्वारा प्रकट की गई आपकी सफल वीरता को प्रदर्शित करते हैं । इसी प्रकार आपके खींचे हुए चलचित्र (Cinema flais) भी सिनेमावालों द्वारा जनता को दिखाए जानेवाले श्रेष्ठ चित्रों का मुक़ाबला करते हैं । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ५६४ www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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