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________________ महाराजा उम्मेदसिंहजी में नहाते थे । उनके समागम से वह पानी और भी ख़राब हो जाता था और शिविर में रहनेवालों को नित्य ही उस पानी को स्नानोपयोगी बनाने के प्रयत्न में बहुतसा समय व्यतीत करना पड़ता था । परन्तु यह स्नान का कार्य अंधेरे में ही अच्छा हो सकता था, क्योंकि उस समय किसी को यह पता नहीं चलता था कि वह अपने सिर पर कैसी चीज़ डाल रहा है । यह शिविर सुन्दर प्रदेश में होने और यहां की बहवा अच्छी होने से एक मनोहर स्थान था । माघ वदि १३ ( १ फ़रवरी) को महाराजा साहब ने दूसरे हाथी का शिकार किया । इस वार ख़ासा तमाशा रहा, क्योंकि जिस समय हाथियों का एक टोला गोली की मार के भीतर होकर शिविर के पास से निकला, उस समय उनमें से बढ़िया हाथी चुनने के साथ-साथ चुने हुए शिकार पर आघात करते समय, उसके साथियों के हमले से बचने के लिये पूरी चौकसी रखने की आवश्यकता भी आ पड़ी । उन दिनों देश के उस भाग में अकाल था । इसलिये दूसरे दिन प्रातःकाल जिस समय महाराजा साहब की टोली उस मारे हुए हाथी के दांत निकालने को पहुँची, उस समय उक्त प्रान्तवासियों का एक बड़ा समूह, अनुमति मिलते ही मृत हाथी का मांस खाने के लिये, वहां पर एकत्रित हो गया । इसके बाद हाथी के दांत, पैर, पूँछ और कानों को जुदा कर लेने पर जब तक उसके शव के टुकड़े किए गए, तब तक महाराजा साहब को नाचते और गाते हुए हशियों के छाया चित्र लेने का अच्छा मौका मिल गया । करीब २०० नग्न या अर्धनग्न मनुष्यों का छुरियां ले-लेकर उस हाथी की लाश पर ( जिसके कि उन्होंने टुकड़े-टुकड़े कर दिए ) हमला करने का दृश्य देखने वालों के भुलाए नहीं भूल सकता । इस प्रकार उस बन के सब से बड़े गजराज का, जो एक रात पहले वहां पर राजा की तरह घूमता था, ५ टन ( १४० मन ) का शरीर शाम तक पूरी तौर पर समाप्त हो गया । हाथी के शिकार के लिये सुबह ४ बजे उठना आवश्यक होता है; क्योंकि इससे शिकारी प्रातःकाल होते ही पानी की तलैया पर पहुँच जाता है और फिर शीघ्र ही किसी बड़े नर हाथी के, जिसने रात में वहां आकर पानी पिया हो, पद- चिह्नों का अनुसरण करता है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ५८६ www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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