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________________ महाराजा उम्मेदसिंहजी पहुँचा । यद्यपि उस समय तक सब लोग रास्ते की गर्द से भर गए थे, तथापि मार्ग में मोशि के बाद के रक्षित वन में घूमनेवाले मृगयोपयोगी पशु-दल के सुन्दर दृश्यों को देखने के कारण प्रसन्न थे । उस स्थान के पशु मोटर गाड़ियों से परिचित हो जाने के कारण बहुधा सड़क के पास ही खड़े हो जाते हैं । इसी से इस पार्टी को निकट पहुँच उनके अनेक छाया चित्र खींचने में सफलता मिली । अरुशा में पहुँच महाराजा साहब ने दो दिन पड़ाव किया; क्योंकि उस प्रान्त के सुदीर्घ दक्षिणी भाग में खाने-पीने की सामग्री के न मिलने के कारण सर जॉफ़री और कप्तान मरे स्मिथ को, यात्रा करने के पूर्व, उसके एकत्रित करने का मौक़ा देना आवश्यक था । यहीं पर आप केनिया पहाड़ ( Mount Kenya ) के ढाल पर बने ब्रिगेडियर जनरल बोयड मौस ( Boyd Moss ) के घर पर पधारे । इस प्रान्त में यह घर सब से सुन्दर घरों में से है और इसके साथ इंगलैंड के देहाती बगीचे का सा एक बगीचा भी जुड़ा है | इसके अलावा यह सब एक ऐसे अछूते ( Virgin ) जंगल के बीच हैं, जिसमें से निकल कर आने वाले हाथी और गैंडे कभी-कभी इस बगीचे के कुछ भाग को नष्ट कर जाते हैं । इसी से यह एक आश्चर्य जनक और निराली जगह है । यहां से रवाना होकर आपका दल दिन भर दक्षिण को जानेवाली सड़क पर चलता रहा और रात को बचाटी ( Babati ) में ठहरा। यहां के होटल में पुराने ढाँचे के गारे के झौंपड़े थे, और खाने के कमरे में कुछ लकड़ी भी लगी थी । परन्तु यहां से आस-पास का दृश्य खब दिखलाई देता था । इसके अलावा इस विश्राम गृह ने सबको रात भर खुब गरन रक्वा । दूसरे दिन वरेकु ( Bereku ) पहुँचने पर एक बड़े सरदार ने, जिसका नाम सुल्तान जालिम था, और जो एक प्रादेशिक अफ़सर के साथ वहां ठहरा हुआ था, आपको अपने अनुचरों का दल दिखलाया । यह अर्धनग्न योद्धाओं का एक समूह थी 1 तीसरे पहर के जलपान के बाद, जो कोलो ( Kolo ) के बाहर सड़क के किनारे किया गया था, महाराजा साहब की पार्टी ने वहां की स्थानीय टोली के साथ फुटबॉल का मैच खेल। और इसमें सरपंच ( Raeree) की अज्ञानता के कारण बगैर एक भी १. यहीं पर मिस्टर हवडे ने ज़ालिम का एक दांत, जो उसे बहुत पीड़ा देता था, उखाड़ दिया | परन्तु डाक्टर के उस दांत को घास पर फेंकते ही उन नंगे योद्धाओं में से एक ने दौड़ कर उन उठा लिया और एक पवित्र यादगार की तरह अपने पास रख लिया । ५८१ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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