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________________ मारवाड़ का इतिहास वि० सं० १९८० की चैत्र सुदि २ ( १६ मार्च ) को राजकीय जमा-खर्च के तरीके की जांच के लिये मिस्टर जे० डब्ल्यू० यंग (J. W Young, O. B E.) तीन मास के लिये, गवर्नमैन्ट से मांग कर, बुलवाया गया । द्वितीय ज्येष्ठ वदि ४ ( २ जून ) को महाराजा साहब १७ वें पूना हौर्स रिसाले के 'ऑनररी-मेजर' बनाए गएं। द्वितीय ज्येष्ठ वदि १३ ( १२ जून ) को मिस्टर लॉयल ( फाइनैंस-मेम्बर ) के चले जाने से उसका काम पंडित सुखदेवप्रसाद काक और मिस्टर डेक बोकमैन में बाँट दिया गया । इसके बाद से पंडित सुखदेवप्रसाद काक ही फाइनैंस-मैंबर भी कहलाने लगा और मिस्टर यंग (J. W. Young), १ वर्ष के लिये, 'एकाउन्टैन्ट जनरल' बनाया गया। द्वितीय ज्येष्ठ सुदि २ ( ई० स० १९२३ की १६ जून ) को ज्येष्ठ महाराज कुमार श्री हनवन्तसिंहजी का जन्म हुआ। इस शुभ अवसर पर राज्य और प्रजा में आनन्द का वातावरण छा गयाँ, किले से १२५ तोपों की सलामी दागी गई, २ आजन्म और ३६ साधारण कैदी मुक्त किए गए, राज्यभर में एक सप्ताह की छुट्टी की गई और अंगरेजों, सरदारों, मुत्सदियों, राज-कर्मचारियों और सैनिकों को भोज दिए गए। इन दिनों नागोर के मंगलदास नामक साधु ने डकैती का पेशा इखतियार कर बड़ा उपद्रव मचा रक्खा था। परन्तु अन्त में वि० सं० १९८० की मंगसिर सुदि ३ १. द्वितीय ज्येष्ठ वदि ।। २ जून ) को बादशाह जॉर्ज पंचम की वर्षगांठ के अवसर पर महाराज फतेसिंहजी (होम-मैम्बर ) को सी० एस० प्राइ० की उपाधि मिली। २ इस वर्ष भी जोधपुर की 'पोलोटीम' ने 'पूना अोपन पोलो टूर्नामेंट' में विजय प्राप्त की। ३. आषाढ सुदि १४ (२६ जुलाई ) को महाराजा साहब ने अपने श्वसुर ठाकुर जैसिंह को ७.३१६ रुपये वार्षिक आय की जागीर दी । (इस जागीर के गांवों में का एक गांव पीछे से दिया गया था।) श्रावण ( अगस्त ) में महाराजा साहब 'पोलो' खेलने के लिये पूना गए। वहां पर भी जोधपुर की 'टीम' ने 'पोलो' के खेल में विजय प्राप्त की। इसके बाद क्वाँर ( अक्टोबर ) में आप वहां से लौट पाए । मैंगसिर बदि • ( ३० नवम्बर ) को महाराजा साहब अपनी 'पोलो-टीम' के साथ कलकत्ते गए और पौष सुदि २ (ई. स. १६२४ की ८ जनवरी) को लौट कर जोधपुर पहुंचे। इस यात्रा में महारानी साहबा भी आपके साथ थीं। (वि. सं० १९८. के पौष ( ई. स. १६२३ के दिसम्बर ) में महाराजा साहब के छोटे भ्राता महागज अजितसिंहजी, राज्य-प्रबन्ध की शिक्षा प्राप्त करने के लिये, मेयो कालिज से जोधपुर चले पाए थे।) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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