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________________ परिशिष्ट - १ राजराजेश्वर महाराजाधिराज सर उमेदसिंहजी बहादुर जी० सी० ऐस० आइ०, जी० सी० आई० ई०, के० सी० एस० आइ०, के० सी० वी० प्रो० ३७ वर्तमान मारवाड़-नरेश. महाराजा उमेदसिंहजी याप महाराजा सरदारसिंहजी के द्वितीय महाराज - कुमार और महाराजा सुमेरसिंहजी के छोटे भ्राता हैं । आपका जन्म वि० सं० १९६० की आषाढ सुदि १४ ( ई० स० ११०३ की ८ जुलाई) को हुआ था । स्वर्गवासी महाराजा सुमेरसिंहजी के पीछे पुत्र न होने से, वि० सं० १९७५ की आश्विन ( काँर ) सुदि ६ ( ई० स० १९१८ की १४ अक्टोबर ) को, आप जोधपुर की गद्दी पर बैठे । उस समय आपकी अवस्था करीब १६ वर्ष की थी । इससे मँग सिर सुदि १ (४ दिसम्बर) को राज्य - प्रबन्ध के लिये महाराजा सर प्रतापसिंहजी की १. वि० सं० १६६७ ( ई० स० १६१० ) में आप शिक्षा प्राप्त करने के लिये अपने बड़े भ्राता महाराज कुमार सुमरसिंहजी के साथ ही अजमेर के मेओ कालिज में प्रविष्ट हुए और वि० सं० १६६८ के कार्तिक ( ई० सं० १६११ के अक्टोबर ) में आपने शारीरिक अस्वस्थता के कारण, जल-वायु परिवर्तन की। वहां पर आप करीब चार मास रहे थे । लिये, इजिप्ट ( मिस्र ) की यात्रा वि० सं० १६६६ ( ई० स० १६१३ ) में आपने काश्मीर की यात्रा की। इस यात्रा में आपके छोटे भ्राता महाराज अजितसिंहजी भी आपके साथ थे। ( ई० स० १०१५ ) में आप राजकोट के आपके छोटे भ्राता महाराज अजित सिंहजी ने इसके बाद वि० सं० १६७२ राजकुमार- कालिज में शिक्षा पाने के लिये चले गए । भी वहीं पर प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी । २. इस समय, पुरानी प्रथा के अनुसार, बगड़ी के ठाकुर ने अपने हाथ के अंगूठे के रक्त से आपके ललाट पर तिलक लगाकर आपके सामने तलवार पेश की। इसके बाद राज्य के पुरोहित और व्यास आदि ने नवाभिषिक्त महाराजा की प्रारती उतारी। इस शुभ अवसर पर किले से १२५ तोपों की सलामी दागी गई और २ आजीवन और ५० साधारण कैदी छोड़े गए । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ५३३ www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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