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________________ महाराजा सुमेरसिंहजी जब, चैत्र वदि १३ (३१ मार्च) को, महाराजा प्रतापसिंहजी फिर युद्ध में सम्मिलित होने को चले गए, तब वि० सं० १९७३ की ज्येष्ठ वदि । (२५ मई ) को जामनगर का खान बहादुर महरबानजी पेस्टनजी मुसाहिब आला बनाया गया । कार्तिक सुदि १ (२७ अक्टोबर ) को महाराजा सुमेरसिंहजी नरेन्द्र-मण्डल की सभा ( Chiefs' Conference ) में भाग लेने को दिल्ली गएँ । १. ई० स १९१६ के मार्च में ईडर-नरेश और जुलाई में किशनगढ़-नरेश जोधपुर आए । इसी वर्ष के मार्च में जोधपुर-नरेश स्वयं शिकार के लिये जामनगर गए, परन्तु वहां पर प्रापकी तबीयत खराब होजाने और माजी हाडीजी साहबा का स्वर्गवास होजाने से आप ज्येष्ठ वदि ८ ( २४ मई) को वापस लौटे। महाराजा साहब के साथ अपनी बहन का विवाह-सम्बन्ध होने के कारण जाम साहब भी बहुधा जोधपुर आते रहते थे। २. माघ वदि ६ ( ई० स० १६१७ की १४ जनवरी) को महाराजा सुमेरसिंहजी ने, अपनी वर्ष गांठ के उत्सव पर, इसे पैर में पहनने को सोना, हाथ का कुरब और हाथी सरोपाव दिया। ३. वि० सं० १६७३ की कार्तिक वदि ६ ( ई० स० १६१६ की १७ अक्टोवर ) को महाराजा साहब जामनगर गए और कार्तिक वदि १२ ( २३ अक्टोबर ) को वहां से लौट कर जाम साहब के साथ जोधपुर पाए। उपर्युक्त दिल्ली यात्रा में भी जाम साहब आपके साथ थे। वहां से आप ( महाराजा साहब ) बंबई होते हुए मँगसिर वदि १ (१० नवम्बर ) को जोधपुर पहुँचे । मॅगसिर सुदि ७ ( १ दिसंबर ) को आप एक मास के लिये फिर बंबई गए और पौष सुदि १० ( ई. स. १९१७ की ३ जनवरी) को वहां से लौट कर अपनी राजधानी में आए । __ माघ सुदि १० ( १ फरवरी ) को आप महारानी साहबा के साथ जामनगर और बंबई गए और फागुन सुदि १३ ( ६ मार्च ) को वहां से लौट कर आए । वि० सं० १६७४ की वैशाख सुदि ६ ( २७ अप्रेल ) को श्राप ३ दिन के लिये प्राबू गए थे । कार्तिक वदि ११ (१० नवम्बर ) को आपने उस समय के बंबई के गवर्नर लॉर्ड विलिंग्डन ( Lord Willingdon ) से मारवाड़ जंकशन पर मुलाकात की। उपर्युक्त दिल्ली यात्रा के समय के सिवा पौष सुदि १३ ( ई० स० १९१७ की ६ जनवरी) और चैत्र वदि ४ ( १२ मार्च) को भी जाम साहब जोधपुर पाए थे। इसी प्रकार वि० सं० १६७४ की ज्येष्ठ सुदि ११ ( १ जून ) को अलवर-नरेश ने आकर महाराजा का प्रातिथ्य स्वीकार किया। वि० सं० १९७३ की पौष सुदि ८ ( ई० स० १६१७ की १ जनवरी ) को शाह किशनजान को 'राय साहब' की उपाधि मिली। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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