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________________ मारवाड़ का इतिहास मिस्टर गॉइडर (G. B. Goyder ) के गवर्नमेंट की नौकरी पर लौट जाने के कारण, वि० सं० १९७० के आषाढ (ई० स० १९१३ की जुलाई ) में, मेजर एस. बी. ए. पैटर्सन (S. B. A. Patterson ) 'फाइनैंस मैंबर' नियुक्त हुआ । __पहले केवल जागीरदारों से ही 'हुक्मनामा ' लिया जाता था, परन्तु अब से महाराजा-रीजेंट ( सर प्रतापसिंहजी) की आज्ञा से राज-कर्मचारियों से भी (जिन्हें राज्य से गाँव मिले हुए थे) वह लिया जाने लगा। पौष सुदि १४ ( ई० स० १९१४ की ११ जनवरी) को महाराजा सुमेरसिंहजी इंगलैंड से लौट आए, और यहां पर राज्य कार्य का अनुभव प्राप्त करने लगे । आप जिस समय वैलिंग्टन कॉलिज में विद्याभ्यास करते थे, उस समय स्वयं सम्राट भी आपकी उन्नति में विशेष अनुराग प्रदर्शित करते रहते थे। ___माघ वदि ६ (१७ जनवरी ) को महाराजा साहब की सालगिरह के उपलक्ष्य में नमक पर का कर आधा करदिया, फौजदारी मुक़दमों की बारह वर्ष से ऊपर की बकार्यों माफ़ करदी गई और राजपूतों के सिवा अन्य जातियों पर से मृतक के पीछे वृहद्भोज ( मौसर ) आदि करने की मनाई उठादी गई । माघ सुदि १२ (७ फरवरी) को उस समय का वायसराय लॉर्ड हार्डिज जोधपुर आया । इस पर दरबार की तरफ़ से उसका यथोचित सत्कार किया गया । दूसरे दिन वायसराय के हाथ से, जोधपुर से तीन कोस पश्चिम चौपासनी नामक स्थान में बने, नए 'राजपूत-हाई स्कूल' का उद्घाटन करवाया गया । तीसरे दिन स्वयं महाराजा सुमेरसिंहजी की अधिनायकता में सरदार-रिसाले की कवायद हुई । इस अवसर पर की महाराजा की फुर्ती और कुशलता को देख वायसराय ने बड़ी प्रसन्नता प्रकट की। १. किसी जागीरदार के मरने पर जब उसका उत्तराधिकारी जागीर का मालिक होता है, तब उसकी जागीर की एक वर्ष की प्राय राज्य में ली जाती है । इसी को 'हुक्मनामा' कहते हैं। २. अंगरेज़ों के इसी नव-वर्ष के अवसर पर गोराउ-ठाकुर धौकलसिंह को 'राप्रो बहादुर' की उपाधि मिली। ३. पहले नमक पर दो रुपये फी मन कर लगता था। ४. यह रकम १,२८,२३७ रुपये की थी। ५. इस स्कूल के बनाने में साढ़े चार लाख से अधिक रुपये लगे थे और इसका पहला प्रिंसिपल पार० बी० वॉनवर्ट (R. B. Van Wart ) नियत किया गया था। ५२२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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