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________________ ( ग A) जोधपुर-राज्य के मिनिस्टर-इन-वेटिंग का वक्तव्य मारवाड़ के इतिहास का द्वितीय भाग मेरे सामने है । यह अपने ढंग का एक अनुपम ग्रन्थ है, और ग्रन्थकारद्वारा उस कठिन विषय को, जो कि ऐतिहासिक अन्धकार में ढका पड़ा था, सावधानी और विद्वत्ता के साथ उपयोग में लाने का पर्याप्त प्रमाण रखता है। श्रीयुत रेउ अपने १३ वर्षों के अनवरत अध्ययन और खोज के बाद एक शक्तिशाली जाति के इतिहास का, विस्मृति के गर्त से, उद्धार करने में समर्थ हुए हैं, यह कोई साधारण सफलता नहीं है, और विशेषतया उस अवस्था में, जिसमें पण्डितजी से पहले के अधिकारियों ने ५० वर्ष मे भी अधिक लंबे समय से इसे अधूरा ही छोड़ रक्खा था और राज्य भी इसके लिये * हजारों की संख्या में एक बहुत बड़ी रकम खर्च कर चुका था। इस ( ऐतिहासिक ) विषय में मुझ से अधिक योग्यता रखनेवाले विद्वानों ने इस ग्रन्थ का अच्छा स्वागत किया है । मैं पण्डित विश्वेश्वरनाथ रेउ को उनके ग्रन्थ की सफलता के लिये बधाई देता हूं और उनकी विद्वत्तापूर्ण खोज और पक्षपात-रहित निर्णय करने की चित्तवृत्ति के लिये, जो उनके ग्रन्थ में स्थान स्थान पर झलकती है, उनकी प्रशंसा करता हूं। मैं आशा करता हूं कि राठोड़ों के गौरवमय भूतकाल का यह इतिहास मारवाड़वासियों को आगे भी गौरवमय भविष्य बनाने की प्रेरणा करेगा और इसके साथ ही श्रीयुत रेउ का नाम भी जीवित रहेगा। नरपतसिंघ, (राअोबहादुर रानोराजा) २६ जून, १९४०. मिनिस्टर-इन-वेटिंग, गवर्नमैंट ऑफ जोधपुर. (१)No.c/204 Dated 29th June, 1940. The Second Volume of the History of Marwar is before me. It is a unique work and bears ample evidence of a careful and critical treatment Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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