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________________ मारवाड़ का इतिहास पौष वदि ७ ( १२ दिमाबर ) को सम्राट जॉर्ज पंचम ने सम्राज्ञी के साथ दिल्ली आकर वहां पर अपना राजतिलको सव किया । उस समय भारत-गवर्नमेंट द्वारा बुलाए जाने के कारण महाराजा सुमेरसिंहजी भी, उस। उत्सव में सम्मिलित होने को, यहां चले आए । दिल्ली पहुंचने पर गवनमैंट की तरफ़ से आपका यथोचित सत्कार किया गया और फिर सम्राट ने दरबार के समय के लिये आपको अपना 'पेज ऑफ ऑनर' (सहचर ) बनाया । पौष वदि । (१४ दिसम्बर ) को "फौजी-रिव्यू' के समय किशोरवयस्क-महाराजा समेरसिंहजी ने अपने 'इम्पीरियल-सर्विस-रिसाले' का संचालन इस खूबी से किया कि देखने वाले दंग रह गए । दिल्ली-दरबार से लौट कर कुछ दिन आप जोधपुर में रहे और फिर पौष सुदि १ (२१ दिसम्बर ) को विद्याध्ययन के लिये इंगलैंड चले गए १. इस अवसर पर भी जोधपुर में बड़ा उत्सव मनाया गया। १०१ तोपों की सलामी दागी गई, कुछ जागीरदारों की चढ़ी हुई 'चाकरी' का चौथा हिस्सा छोड़ दिया गया, आम लोगों में निकलने वाले राज्य के कर्ज में से दो लाख रुपये माफ़ किए गए, जागीरदारों को अपना कर्ज अदा करने के लिये राज्य से कम सूद पर रुपया देने की घोषणा की गई, अंधों, लंगड़ों और अपाहिजों को अन्न और वस्त्र दिए गए, ५० कैदी छोड़े गए, बहुत से कैदियों की सजाएं कम की गई और शहर और गांवों में सभाएं कर शाही फरमान सुनाया गया । इसी अवसर पर महाराजा सुमेरसिंहजी को दिल्ली दरबार के सम्बन्ध का सोने का पदक, महाराजा प्रतापसिंहजी को जी. सी. वी. प्रो. का खिताब और सोने का पदक, १६ राजकर्मचारियों और सरदारों तथा २६ सैनिकों को चांदी के पदक, दो अन्य कर्मचारियों को खास तमगे और दो कर्मचारियों को पट्टियां ( Clasps ) मिलीं । इनके अलावा बेड़े के ठाकुर शिवनाथसिंह को 'राम्रो बहादुर' का और पण्डित श्यामबिहारी मिश्र को 'राय साहब' का खिताब मिला। २. पौष बदि २ (७ दिसम्बर ) को महाराजा सुमेरसिंहजी सम्राट् से मिले और पौष वदि ६ (११ दिसम्बर ) को वायसराय ने आकर मारवाड़-राज्य के अभिभावक (रीजैट) महाराजा प्रतापसिंहजी से मुलाकात की। ३. इस विषय में माननीय ( Hon' ble ) John Fortescu ने लिखा था "बादशाह के पास पहुँचते ही महाराजा सुमेरसिंहजी का घोड़ा भड़क गया । परन्तु आपने सैनिक नियमानुसार दृष्टि को सम्राट की तरफ से विना हटाए ही उसे तत्काल काबू में कर अपना उत्तरदायित्व पूर्ण किया ।" ४. इस वार की यात्रा में ठाकुर धौंकलसिंह की एवज़ महाराज-कुमार गुमानसिंहजी आपके साथ थे । फागुन वदि ६ (ई० स० १६१२ की ८ फरवरी ) को जोधपुर में महाराजा ५२० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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