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मारवाड़ का इतिहास
के लिये बूँदी गए और आपके वहां से लौट आने पर इसी वर्ष और भी अनेक राजा-महाराजा श्रीमान् से मिलने जोधपुर आए ।
इसी वर्ष राय बहादुर मुंशी हरदयालसिंह के, जो वि० सं० १९४० ( ई० स १८८३ ) में आया था, मर जाने से उसके स्थान पर महाराज कुमार सरदारसिंहजी मुसाहत्र आला के ‘सैक्रेटरी' बनाए गए और पंडित सुखदेवप्रसाद काक को आपके कागजात की देख-भाल सौंपी गई ।
इसी वर्ष पंडित जीवानन्द, सिंघी बछराज, और पंडित माधोप्रसाद गुर्टू भी 'काउन्सिल' के 'मैंबर' नियत हुए ।
इस वर्ष मारवाड़ के परगनों के ६ विभाग किए गए और पण्डित माधोप्रसाद गुर्टू, पंडित नारायणसहाय गुर्टू ( यह पहले 'हज़ूरी दफ़्तर' का सुपरिन्टैन्डैन्ट था ), मुंशी याहाख़ाँ, मुंशी मयूर अहमद, पंडित रतनलाल अटल, और पुरोहित शिवलाल उनके सुपरिन्टैन्डैन्ट बनाए गए । इसी वर्ष ' बाउंड्री सेटलमेंट' ( हदबंदी ) का काम सहकारी मुसाहिब-आला महाराज जालिमसिंहजी को, और 'रिवेन्यू सेटलमेंट' का काम पंडित सुखदेव प्रसाद काक को सौंपा गया । उस समय 'दस्तरी' का हाकिम पंचोली मोतीलाल था ।
इसी वर्ष की फागुन सुदि १० ( ई० स० १८६५ की ६ मार्च) को जोधपुर में पहले-पहल ‘ट्रेवर कैटल फ़ेयर' खोला गया । इसके साथ 'पोलो' और 'पिगस्टिकिंग'
१. महाराज फागुन ( ई० स० १८६५ की मार्च ) में फिर बूंदी गए थे ।
२. वि० सं० १६५१ के आषाढ ( ई० स० १८६४ की जुलाई ) में कोटा नरेश, कार्तिक (अक्टोबर) में अलीपुर के महाराना और अलवर के महाराज और मँगसिर ( नवम्बर ) में जयसलमेर के महारावल जोधपुर आए। इसी वर्ष बीकानेर - नरेश और सिंध का कमिश्नर मिस्टर जेम्स भी यहां आए थे ।
३. इसकी मृत्यु पर इसके पुत्र मुंशी रोडामल को 'कोर्ट- सरदारान' का सुपरिन्टेंडेंट बनाया गया और ग्रासोप का ठाकुर 'जौइंट जज' नियुक्त हुआ । परंतु स्वयं उसके ठिकाने के मामले पेश होने पर उसके स्थान पर नींबाज के ठाकुर को 'जौइंट जज' का काम करने का आदेश दिया गया । इसी अवसर पर पण्डित माधोप्रसाद गुर्टू को, जो पहले जालोर और गोडवाड़ प्रान्तों का सुपरिन्टेंडेंट था मालानी का सुपरिन्टेंडेंट बनाया ।
४. यह पहले 'हुक्मनामा' और ज़ब्ती के महकमे का असर था ।
५. यह मेला मंडोर और बाल-समन्द के बीच, नगर से २ कोस उत्तर में, खोला गया था और ६ दिन तक रहा था । इसमें ८,००५ मनुष्य, ७८७ घोड़े, १,५४५ ऊंट, १ हाथी,
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