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________________ मारवाड़ का इतिहास उक्त सूबे की सारी आय का आधा भाग देने की प्रतिज्ञा पर, अपनी सहायता के लिये तैयार किया । यह देख महाराज ने ( अपने प्रतिनिधि ) रत्नसिंह को उनके सम्मिलित बल का यथा-शक्ति मुकाबला करने की आज्ञा मेज दी । परन्तु जब मोमीनखा और मरहटों की विशाल सेनाएँ अहमदाबाद के विलकुल निकट पहुँच गई, तब रत्नसिंह ने लाचार होकर वहाँ का सारा हाल महाराज को लिख भेजा । इस पर महाराज को इतना क्रोध आया कि यह बादशाह के सामने ही दरबार से उठकर रवाना हो गए। यह देख उपस्थित शाही अमीरों में घबराहट छा गई, और उन्होंने महाराज को वापस बुलवाकर बादशाह से गुजरात की सूबेदारी फिर से इन्हीं के नाम लिखवा दी । परन्तु इसी के साथ बादशाह ने यह इच्छा प्रकट की कि गुजरात की नायबी भंडारी रत्नसिंह से लेकर राठोड़ अभयकरण को दे दी जाय । इस आज्ञा के पहुंचने पर मोमीनखाँ ने यह प्रस्ताव किया कि यदि रत्नसिंह बादशाही हुक्म के अनुसार अपना कार्य-भार अभयकरण को सौंप दे, और नगर की रक्षा का भार फ़िदाउद्दीनखाँ को दे दे, तो मैं कैंबे (खंभात) की तरफ़ जाने को तैयार हूँ। परन्तु रत्नसिंह ने यह बात नहीं मानी । इस पर खाँ ने दाभाजी मरहटे को भी अपनी सहायता के लिये बुलवा लिया । इस प्रकार मरहटों की सहायता लेकर मोमीन ने अहमदाबाद पर चढ़ाई की । यद्यपि रत्नसिंह ने एक बार तो बड़ी वीरता से उनके सम्मिलित सैन्य को मार भगाया, तथापि अंत में नगर को अधिक काल तक सुरक्षित रखना असंभव समझ मोमीन से संघि करली । इसी के अनुसार वह ( रत्नसिंह) उस ( मोमीनखाँ ) से अपने मार्ग-व्यय के लिये कुछ रुपये लेकर, शस्त्रों से सजे अपने दल के साथ, नगर से रवाना हो गया। उसके इस प्रकार चले जाने पर अहमदाबाद पर मोमीनखाँ का अधिकार हो गया । परन्तु इसके साथ ही उक्त प्रांत की आधी आमदनी के साथ-साथ अहमदाबाद का आधा नगर भी मरहटों के अधिकार में चला गया । १. बाँबे गजेटियर, भा० १, खंड १, पृ० ३१५-३१६ । २. बाँबे गजेटियर, भा० १, खंड १, पृ० ३१६-३२० । वि० सं० १७६५ ( ई० सन् १७३८ १७३६ ) में नादिरशाह के आक्रमण ने मुगल बादशाहत को और भी शिथिल कर दिया । (क्रॉनॉलॉजी ऑफ़ मोडर्न इंडिया, पृ० १७७-१७८)। वि० सं० १७६४ (ई० सन् १७३७ ) में महाराजा ने शाहपुरे के राजा उम्मैदसिंहजी को ले जाकर बादशाह से मिलाया था । ( राजपूताने का इतिहास, खंड ३, पृ० ६४३)। ३५० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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