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________________ जोधपुर के राष्ट्रकूट नरेशों का विद्याप्रेम और उनकी दानशीलता । (२) आनन्द विलास (३) अनुभवप्रकाश (४) अपरोक्षसिद्धान्त । वेदांत' (५) सिद्धान्तबोध । (इनमें के चार ग्रन्थ पद्यमय हैं और 'सिद्धान्त(६) सिद्धान्तसार बोध' में गद्य और पद्य दोनों हैं ।) (७) चन्दप्रबोध ( यह नाटक संस्कृत के 'प्रबोधचन्द्रोदय' नामक नाटक का अनुवाद है।) (८) पूली जसवन्त संवाद और फुटकर दोहे और कुण्डलिये वेदान्त विषयक। (२) आनन्दविलास यह संस्कृत पद्यों में है, और इसका विषय भी ___ भाषा के 'आनन्दविलास' के समान वेदान्त ही है। इनके अलावा नायिका भेद पर भी महाराज की लिखी एक पुस्तक बतलाई जाती है । महाराजा जसवन्तसिंहजी प्रथम के पुत्र महाराजा अजितसिंहजी के समय के तीन काव्य मिले हैं । इनमें से दीक्षित बालकृष्ण रचित 'अजितचरित्र' और भट्ट जगजीवन कृत 'अजितोदय' संस्कृत के और 'अजितचरित' भाषा का है । महाराज ने ब्राह्मणों और चारणों को करीब ३५ गांव दान दिए थे। स्वयं महाराजा अजित के बनाए भाषा के दो ग्रन्थ मिले हैं। एक 'गुणसार और दूसरा 'भाव विरही' । मिश्रबन्धु विनोद में इनके बनाए अन्य ग्रन्थों के नाम इस प्रकार मिलते हैं: दुर्गापाठ भाषा, राजरूप का ख्याल, निर्वाणी दोहा, ठाकुरों (आदि) के दोहे, भवानी सहस्रनाम और फुटकर दोहे । १. जोधपुर दरबार की आज्ञा से इस इतिहास के लेखक ने, इन पांचों ग्रन्थों को संपादित कर (वेदान्तपंचक के नाम से) गवर्नमेंट प्रेस, जोधपुर से प्रकाशित करवाया है। २. इन्हीं के समय पण्डित श्यामराम ने 'ब्रह्माण्डवर्णन' नामक काव्य लिखा था । प्रथम वरण शृङ्गार को, राजनीति निरधार । जोग जुगति यामें सबै, ग्रन्थ नाम गुणसार ॥ ४. यह साहित्य का ग्रन्थ है। ५. भाग २, पृ. ५५६-५५७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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