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________________ महाराजा अजितसिंहजी इसी वर्ष महाराज ने तीर्थ यात्रा का विचार किया । इसीसे यह जोधपुर से चलकर राजगढ़, पाटने और दिल्ली होते हुए कुरुक्षेत्र पहुँचे, और वहाँ से अन्य तीर्थों में स्नान करते हुए साढोर होकर हरद्वार गए । यहीं पर इन्हें राव इंद्रसिंह का मेजा हुआ एक पत्र मिला । उसमें महाराज की अनुपस्थिति में तहव्वरअली द्वारा मारवाड़ में किए गए उपद्रवों का वर्णन था । इस पत्र को पढ़ते ही महाराज मारवाड़ को लौट चले, और कुछ ही दिनों में मारोठ आ पहुँचे । इनके आगमन का समाचार सुन तहब्बरअली गोठ-माँगलोद से भागकर अजमेर चला गया । इसपर महाराज पुष्कर स्नान कर मेड़ते होते हुए जोधपुर को चले । मार्ग में ही इन्हें बहादुरशाह के लाहौर में मरने की सूचना मिली। इसके बाद उसके चारों पुत्रों के बीच बादशाहत के लिये झगड़ा उठ खड़ा हुआ । यह देख महाराज ने भी आस-पास के यवन शासकों का नाश करना शुरू कर दिया। इसके बाद बहादुरशाह का पुत्र मोइजुद्दीन जहाँदारशाह अपने भाइयों को मारकर, वि० सं० १७६१ की चैत्र सुदी १५ (ई० स० १७१२ की १० अप्रेल) को, तख़्त पर बैठा। १. कर्नल टॉड ने लिखा है कि वि० सं० १७६८ में महाराज ने बादशाह की तरफ से नाहन (सिरमूर-पंजाब) के राजा पर चढ़ाई कर उसे हराया और वहाँ से लौटते हुए यह तीर्थयात्रा को गए । (कुकसंपादित टॉड का राजस्थान का इतिहास, भा॰ २, पृ० १०२०) 'राजरूपक' में भी नाहन-विजय का उल्लेख है । ( देखो पृ०१८७)। २. बहादुरशाह ( शाह आलम ) के, सने जलूस ५ की १२ शव्वाल ) (वि० सं० १७६८ की कार्तिक सुदी १३ ई० सन् १७११ की १२ नवम्बर ) के, महाराज के नाम के शाही फर्मान से ज्ञात होता है कि उस ने महाराज को सूरत की फौजदारी दी थी। इसीसे शायद यह वहाँ का प्रबन्ध कर तीर्थयात्रा को गए होंगे। ३. 'राजरूपक' में इस घटना का उल्लेख नहीं है । ४. अजितोदय, सर्ग १६ श्लो० ७०-६० । बहादुरशाह वि० सं० १७६८ की फागुन बदी ७ ( ई० सन् १७१२ की १८ फ़रवरी) को मरा था। 'क्रॉनोलॉजी ऑफ मॉडर्न इंडिया' में २८ फ़रवरी लिखी है । ( देखो पृ० १५३ ) परंतु 'लेटर मुगल्स' में ई० सन् १७१२ की २७ फरवरी की रात को उसका मरना लिखा है । ( देखो मा० १, पृ० १३५)। ५. 'लेटर मुगल्स' में उस दिन (हि० सन् ११२४ की २१ सफ़र मानकर ) २६ (वास्तवमें १६) मार्च का होना लिखा है । ( देखो भा० १, पृ० १८६) और 'क्रॉनोलॉजी ऑफ मॉडर्न इंडिया' में उस दिन २० अप्रेल लिखा है । ( देखो पृ० १५४) । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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