SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 353
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महाराजा अजितसिंहजी उन दिनों राठोड़ों का मुख्य शिविर नाडोल में था, और वहीं से ये लोग रानाजी से मिलकर मेवाड़ के यवनों को भी तंग किया करते थे । अतः सोजत पहुँचते ही शाहजादे अकबर ने तहव्वरखाँ को नाडोल हस्तगत कर कुंभलमेर पर आक्रमण करने की आज्ञा दी । परन्तु अपने प्राणों के मोह को त्यागकर रणांगण में घुझनेवाले राठोड़-वीरों का एकाएक मुकाबला करने की उसके सैनिकों की हिम्मत न हुई । इसलिये कई महीने तो तैयारी में ही लगा दिए गए । इसके बाद मार्ग में फिर सैनिकों के आगे बढ़ने से इनकार कर देने पर उसे एक मास तक खरवे में रुकना पड़ा। अंत में जब बड़ी मुशकिल से वह सेना नाडोल पहुँची, तब फिर मुगलों को भयने आ घेरा । इस पर लाचार होकर आश्विन सुदी ८ (२१ सितम्बर ) को स्वयं शाहजादे अकबर को सोजत से वहाँ जाना पड़ा । यद्यपि इस समय तक जोधपुर से ( सोजत होते हुए ) नाडोल तक मार्ग में स्थान-स्थान पर शाही चौकियों का प्रबंध कर रसद आदि के लिये मार्ग साफ़ कर दिया गया था, तथापि तहव्वरखाँ ने पहाड़ी मार्ग में आगे बढ़ने से इनकार कर दिया । अंत में अकबर के बहुत दबाव डालने पर आश्विन सुदी १४ ( २७ सितम्बर ) को जैसे ही वह आगे बढ़ देसूरी की घाटी के पास पहुँचा, वैसे ही राठोड़ों और राजकुमार भीम की सम्मिलित सेनाओं ने पहाड़ों से निकल उस पर आक्रमण कर दिया । दोनों तरफ के वीर एक दूसरे को पछाड़ने में बहादुरी दिखाने लगे। परन्तु पूरी सफ़लता किसी पक्ष को न मिली । इसके बाद राठोड़ों ने वहाँ रहना अनुचित समझ बीटणी की तरफ प्रयाण किया और वहाँ पर लूट-मारकर ये लोग मेड़ते की तरफ चले आए। इस पर मँगसिर बदी १३ ( ६ नवम्बर ) को हामिदखा को उधर जाने की आज्ञा दी गई । परन्तु राठोड़ों ने इसकी भी कुछ परवा नहीं की, और डीडवाने तथा सांभर में जाकर उपद्रव शुरू कर दिया। __यह देख मँगसिर सुदी २ (१३ नवंबर ) को रुहुल्लाखाँ तो मोहम्मद अकबर की सहायता को भेजा गया, और मुगलखाँ को साँभर और डीडवाने की रक्षा के लिये जाने १. 'राजरूपक' में इस युद्ध का नाडोल में होना लिखा है । २. हिस्ट्री ऑफ़ औरंगज़ेब, भा० ३, पृ० ३६४-३६५। ३. अजितोदय, सर्ग १०, श्लो० ५१-५२ । ४. 'हिस्ट्री ऑफ़ औरंगजेब' में लिखा है: मँगसिर सुदी ७ (१८ नवम्बर) को बादशाह का भेजा हुआ रुहल्लाखाँ नवीन सेना और खर्च के रुपयों के साथ नाडोल पहुँचा । उसके द्वारा बादशाह ने शाहज़ादे अकबर को शीघ्र ही आगे बढ़ने २६५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy