SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 315
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मारवाड़ का इतिहास परन्तु वहाँ पहुँचने पर इनके और खान के बीच आपस में मनोमालिन्य हो गया और उस ( खान ) के बर्ताव से वह दिन-दिन और भी बढ़ता गया । फिर भी महाराज ने वीरता से मरहठों का सामना कर उनके अनेक किले आदि छीन लिए । वि० सं० १७१९ की ज्येष्ठ सुदि ३ (ई० सन् १६६२ की १० मई) को बादशाह ने महाराज और अमीरुल उमरा के लिये, जो उस समय दक्षिण में थे, खिलअत भेजे' । इसी प्रकार वि० सं० १७१९ की पौष सुदि २ (ई० सन् १६६२ की २ दिसम्बर ) को भी इन दोनों के लिये खिलअत भेज कर इनका सत्कार किया गया । तथा वि० सं० १७२० की वैशाख सुदि २ (ई० सन् १६६३ की २१ अप्रैल ) को फिर इनके लिये खिलअत भेजा गया । वि० सं० १७२० की चैत्र सुदि (ई० सन् १६६३ की अप्रैल ) में शिवाजी ने एक रोज मौका पाकर जंगल के रास्ते से अमीरुल उमरा के स्थान पर नैश-आक्रमण किया । इसमें उसका पुत्र अबुलफ़तह मारा गया और स्वयं अमीरुलउमरा की तीन उँगलियाँ कट गईं । यह समाचार सुन बादशाह बहुत ही नाराज हुआ और उसने अमीरुलउमरा के स्थान पर शाहजादे मुअज्जम को दक्षिण की सूबेदारी पर भेज दिया । साथ ही महाराज के लिये खासा खिलअत और सुनहरे साज़ के दो घोड़े भेजे गये । इसके बाद मँगसिर सुदि १२ (१ दिसम्बर) को बादशाह ने इनके लिये सरदी में पहनने का एक गर्म खिलअत भेजों और कुछ मास बाद सातवें राज्यवर्ष के प्रारंभ (वि० सं० १७२१ की चैत्र सुदि ई० मन् १६६४ के मार्च ) में हमेशा के रिवाज १. आलमगीरनामा, पृ० ७४१ । २. आलमगीरनामा, पृ० ७६१ । ३. आलमगीरनामा, पृ० ८१६ । ४. जदुनाथ सरकार ने अपनी 'हिस्ट्री ऑफ औरङ्गजेब' में इस घटना की तिथि ई० स० १६६३ की ५ अप्रैल (वि० सं० १७२० की द्वितीय चैत्र सुदि ८) लिखी है ( देखो भा० ४, पृ० ५१)। ५. उस समय अमीरुल उमरा, पूना में शिवाजी के पूर्व निवास स्थान में ही ठहरा हुआ था। ख्यातों में भी इस घटना का समय वि० सं० १७२० की चैत्र सुदि ८ ही लिखा है। ६. आलमगीरनामा, पृ० ८१६ । आलमगीरनामे में उस दिन वि० सं० १७२० की वैशाख सुदि १० (ई० स० १६६३ की ६ मई ) होना लिखा है (देखो पृ० ८१६)। ७. आलमगीरनामा, पृ० ८४८ । २३४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy