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________________ मारवाड़ का इतिहास में बादशाह ने इनके लिये एक खासा हाथी और आषाढ़ ( जुलाई ) में सुनहरी जीन का एक खासा घोड़ा भेजा । इसी बीच बादशाह ने बसरे से अरबी घोड़े मँगवाए थे। वे बड़े ही खबसूरत और कीमती थे । उनके आने पर आश्विन ( अक्टोबर ) में उनमें का एक घोड़ा मय सुनहरी जीन के महाराज की सवारी के लिये भेजा गया। उस समय महाराज शाहजहाँ के साथ लाहौर में थे । इसलिये इन्होंने भी वहां पर ३ हाथी और २२ घोड़े अपने सरदारों को इनाम में और चारणों को दान में देकर अपनी महत्ता प्रकट की। इन्हीं दिनों ( वि० सं० १६६६ में ) ईरान के बादशाह शाह सफी ने, कंधार पर चढ़ाई करने का विचार कर, अपने सेनापतियों को नेसापुर में पहुँचने की आज्ञा दी । इस समाचार के ज्ञात होते ही शाह जहाँ ने राजा जसवंतसिंहजी आदि नरेशों को मय शाही सेना के शाहज़ादे दाराशिकोह के साथ कंधार की रक्षा के लिये रवाना किया । इस अवसर पर भी उसने इन्हें प्रसन्न रखने के लिये खासा खिलअत, जड़ाऊ जमधर, फल कटार, सुनहरी खाजवाला खाता घोड़ा और खासा हाथी उपहार में दिया । परन्तु ईरान का बादशाह कंधार पहुँचने के पूर्व मार्ग ( काशान ) में ही मर गया । इससे वह झगड़ा अपने आप शांत हो गया और यह गज़नी से ही वापस लौट आए । इसके बाद वि० सं० १७०० की आपाढ़ सुदि १४ ( ई० स० १६४३ की २० जून ) को महाराज मारवाड़ की तरफ रवाना हुए । बादशाह ने भी खासा खिलात देकर इन्हें बिदा किया । बादशाही मनसबदार होने के कारण उन दिनों महेशदास को अधिकतर शाही दरवार में ही रहना पड़ता था । इसीसे महाराज ने जोधपुर पहुँच प्रधानमंत्री का पद मेड़तिया गोपालदास को सौंप दिया और मुहणोत नैणसी को सेना देकर पहाड़ी प्रदेश के मेरों के उपद्रव को शांत करने की आज्ञा दी। उसने वहाँ १. बादशाहनामा, जिल्द २, पृ० २३ः और २३ । २. बादशाहनामा. जिल्द २, पृ० २४६ । ३. यह प्रांत बादशाह जहाँगीर के समय ईरान-नरेश के अधिकार में चला गया था: परन्तु शाहजहां के समय इस पर फिर से मुगलों का अधिकार हो गया । ___ ऑक्सफोर्ड हिस्ट्री ऑफ इंडिया, पृ० ४०१ । ४. बादशाहनामा, जिल्द २, पृ० २६३-२६४ | ५. बादशाहनामा, जिल्द २, पृ० ३३५-३३६ । ६. यह रीयाँ का ठाकुर था। २१४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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