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________________ मारवाड़ का इतिहास १५. महाराजा जमन- (प्रथम) यह राना मलम द्वितीय पुत्र : ... म वि : सं० १६८३ की माघ वदि ४ (ता. २: पा१६२६ : क. पुर। दक्षिण ) में हुआ था। राजा गजलिंदजी ३.सार इन्ही को अपमाधिकारी बनाने का था। इससे वि. १६ दि ३ : ई. :::की ६ मई ) को, जिस समय श्रागो में इनकी E , उस समय बादशा : जहाँ ने इन ( जसवंतसिंहजी) को खिल अान, मधर ( कटार , ४ हद्वारा दान और हजार सवारों का मनस, राम काय, निशान, नकारा, सुनहरी जोन का घोड़ा और हाथी देकर राना की पनी नांध कर दिया । मक बार में० १६६५ की आषाढ वदि ७ (६० स० १६३८ की २५ मई को ईइन का राजतिलक हुआ । प्रथम श्रवण सुदि १२ ( १२ जुलाई को बारह ने इन्हें फिर खिलअत देकर सम्मानित किया । उस समय महाराज की करीब ११ वर्ष की थी। इसी से बादशाह ने मारवाड़ के राजकार्य की देख न के लिये आवत राजसिंह को इनका प्रधान नियत कर १. इस पर म' ले भी., मुहरे. १२ हाथी और कुछ जड़ाऊ शस्त्र बादशाह को भेट किए. बादारनामा, जिल्द २, पृ०६७ । ख्यातों में लिखा है कि उस समय जसवनसिंहजी विवाहाय दमा हुए थे। परन्तु पिता की मृत्यु का समाचार पात हो यह प्रगो ना रे बाह को मात्रा में पहले सुलतान मुराद ने इनके मकान पर पाकर मातमपुरम और हमारा नहाँ ने स्वयं अपने हाथ से इनका राजतिलक किया ! . इसके करीब दिन बाद त इाधी भेट में दिए । सर जल्द २, पृ० १०२-१.१ । इसका जन्म वि. स. १६ ३ र हुमाया। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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