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________________ मारवाड़ का इतिहास होगया । यह घटना विक्रम संवत् १६४५ (ई० सन् १५८८ ) की है। बादशाह अकबर राजा उदयसिंहजी को बहुधा अपने साथ ही रखता था । विक्रम संवत् १६४६ (हि० सन् १००० ई० सन् १५१२) में जब वह लाहौर से काश्मीर गया, तब उसने कुलिचखाँ के साथ ही महाराज को भी वहां (लाहौर) के प्रबन्ध के लिये नियत करदियो । विक्रम संवत् १६५० (ई० सन् १५१३ ) में महाराज ने जसोल के रावल वीरमदेव पर चढ़ाई की । यद्यपि पहले तो रावल ने भी बड़ी वीरता से इनका सामना किया, तथापि अन्त में उसे हारकर भागना पड़ा। इससे जसोल पर महाराज का अधिकार हो गया। ___इसी वर्ष (हि० सन् १००२ में ) राजा उदयसिंहजी को दक्षिण के युद्ध में भाग लेने के लिये शाहजादे दानियाल के साथ जाना पड़ा । वहाँ से लौटने पर कुछ दिन तो यह मारवाड़ में रहे, परन्तु बाद में लाहौर के प्रबन्ध की देखभाल के लिये परन्तु इन्होंने कल्ला पर स्वयं चढ़कर जाना अनुचित जान राजकुमार भोपतसिंह और भंडारी मना को कुछ सेना देकर उधर भेज दिया । यद्यपि इस राठोड़-वाहिनी ने सिवाने के किले को घेर कर कुछ दिन के लिये उसका बाहरी संबन्ध काट दिया, तथापि एक रात को मौका पाकर वीर कल्ला एकाएक किले से निकल इस सेना पर टूट पड़ा । इस अचानक के आक्रमण से बाहर की राठोड़-सेना के साथ ही शाही सेना के भी बहुत से वीर मारे गए । इससे बची हुई सेनाओं को किले का घेरा हटा लेना पड़ा । इस समाचार को सुन बादशाह अकबर को बड़ा दुःख हुआ, और उसने इन दो बार की पराजयों का बदला लेने के लिये राजा उदयसिंहजी को स्वयं सिवाने पर चढ़ाई करने की आज्ञा दी । इसी कारण इनको स्वयं कला के विरुद्ध सिवाने पर चढ़ाई करनी पड़ी थी। १. उसी समय से किसी नाई को सिवाने के किले में नहीं जाने दिया जाता। कहते हैं कि तब से ही कल्ला के वंश के सरदार (लाडनू वगैरा के ठाकुर) भी उस किले में नहीं जाते हैं। २. तबकाते अबकरी (पृ० ३७६ )। ३. वि० सं० १६५० की आषाढ़ सुदी ६ के लेख से उस समय फलोदी पर बीकानेर नरेश रायसिंहजी का अधिकार होना प्रकट होता है । ४. तबकाते अकबरी (पृ० ३७६ ) में हि० सन् १००१ की २१ मुहर्रम (वि० सं० १६४६ की कार्तिक बदी ८ ई० सन् १५६२ की १८ अक्टोबर) को इनका दक्षिण की तरफ भेजा जाना लिखा है। १७६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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