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________________ मारया ":: 1:- । .: मोजत में गद्दी पर 1 को इस मा..- .:.- -: " लम समय इनका अधिकार कच! ..और जोधपुर में ... : य न्त उसी वर्ष इन्होंने भाद्राजन के सीधलों का मना मंजी। 5सार ई.ले के धामी वीरनंदव ने भी अपनी सेना के साथ आकर इसन योग : . दिनों के युद्ध के बाद भाजन का स्वामी वीर: मारः गया और वहां पर मालट का आधिकार हो गया । इसके बाद इसी सेना ने गायपुर के सींचलों पर डाई की और वहां के शो को मारकर उक्त प्रदेश पर भी अधिकार कर लिया। स. १५८९ ( इ० म. १५३२ ) में ति नमःगुगत के सुलतान बहादरश भवाइनला की, उस समय माकन न भी आपस राठोड़-वाहिनी को उसके मुकाबले में हार राना विक्रमादित्य सहायता की। ". च हा { जोधपुर परगन क: , चागों को और ६ का, यासों क ( जोधपुर परगने का ), । अनन्त वामणी ( मोजत परगने का ) ब्राह्मण को। कार इनके अन्य गाँवों के दान का गल्लेख भी मिलता है । परन्तु इस बि निश्चयपूर्वक दुक' कहा जा मक्तः । १. उम ममय जैतारणा, चोकरण, फलोदा. बाद , डा, खेड, महेवा, सिवाना और मेढ़ता आदि के स्वास, समय उपस्थित होटल मैन्य आदि से जोधपुर नरेश की सहायता कर दिया कान थे । परन्तु अन्न कार से ब अपने-अपने अधिकृत प्रदेशों के स्वतंत्र शासक । मा अलावा भाद्राजन याद कमजन तो पहले ..लो में सम्बन्ध रखने लगे थे। परन्तु इन दमटतावालों का सम्ब उनसे बढ़ गया ... , जालोर और नागोर पर मुसलमानो वादकार था। २. अर्थात् वि० सं० १५६१ करपर इम सहायता का चित्तौड़ के 'दुसरे श .. : दिया जाना लिग्वा है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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