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________________ राव सत्ताजी १३. राव सत्ताजी यह राव चूंडाजी के द्वितीय पुत्र थे और अपने भाई कान्हाजी की मृत्यु के समय रणमल्लजी के मेवाड़ में होने के कारण मंडोर की गद्दी पर बैठे। इन्होंने अपने भाई रणधीर को, झाडोल (मेवाड़ राज्य में) से बुलवा कर, राज्य का सारा काम सौंप दिया था । परन्तु सत्ताजी का पुत्र नरबद इस प्रबन्ध से सन्तुष्ट न था । इस से कुछ ही दिनों में उसने सत्ताजी को भी उस (रणधीर ) से नाराज़ कर दिया । यह देख रणधीर रणमल्लजी के पास मेवाड़ पहुँचा और उन्हें समझाने लगा कि पिता की आज्ञानुसार आपने राज्य का अधिकार कान्हाजी को दिया था । परन्तु उनकी मृत्यु हो जाने से अब उस पर आप ही का हक है। सत्ताजी उसमें कुछ भी नहीं मांगते। यह बात रणमल्लजी की समझ में भी आ गई । इसीलिये उन्होंने राना मोकलजी से सहायता लेकर मंडोर पर चढ़ाई कर दी । युद्ध होने पर नरबद जखमी हुआ और मंडोर पर रणमल्लजी का अधिकार हो गया । यह घटना वि० सं० १४८४ (ई० स० १४२७) की है। १. कहते हैं कि इन्होंने (जोधपुर परगने का) खारी नामक गाँव एक चारण को दान में दिया था। २. किसी-किसी ख्यात में लिखा है कि राव चूंडाजी ने जिस समय कान्हाजी को अपना उत्तराधिकारी नियत किया था, उसी समय सत्ताजी को मंडोर जागीर में दिया था। ३. ख्यातों में लिखा है कि नरबद ने रणधीर के पुत्र नापा को विष दिलवा कर मरवा डाला था। ४. किसी-किसी ख्यात में कान्हाजी के मरने पर रणमलजी और राना मोकलजी का एक बार पहले भी मंडोर पर चढ़ाई करना लिखा है । उनमें यह भी लिखा है कि उस समय तक सत्ताजी ने रणधीर से आधा राज्य देने का वादा कर रखा था । इसलिये वह (रणधीर ) नागोर जाकर ख़ाँजादा फ़ीरोज़ को अपनी सहायता में ले आया और इस प्रकार उसने मेवाड़ की सेना को सफल-मनोरथ न होने दिया । परन्तु कुछ दिन बाद ही नरबद के कहने से सत्ताजी ने वह आधा राज्य देने का वादा तोड़ दिया । इसी से रणधीर रणमल्लजी से मिल गया । और उन्हें समझा बुझा कर मंडोर पर चढ़ा लाया । परन्तु यह ठीक प्रतीत नहीं होता । क्योंकि यदि ऐसा होता तो रणधीर को रणमल्लजी के पास जाकर कान्हाजी के बाद राज्य पर उन्हीं का हक सिद्ध करने की अावश्यकता न होती। ६६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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