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________________ * अवशेष * १५५ बन गए तो सामान्य वर्ग के लिये क्या कठिनता है; पर " नाचना नहीं तो आंगन बांका " वाला तमासा है, उनके तमाम बचाव मिथ्या हैं, रुचि नहीं होने का परिणाम है; इसलिए महात्माओ की सत्संग करिए; मार्ग सुन्दर मिल जायगा. ( भावी तीर्थंकर ) भगवान् महावीर देव की विद्यमानी में निम्नलिखित जीवों ने तीर्थंकर नाम कर्म उपार्जन किया. वे यह हैं(१) श्रेणिक नृपेन्द्र का जीव पहिला 'पद्मनाभ ' तीर्थकर होगा. ( २ ) महावीर देव के चाचा सुपार्श्व का जीव दूसरा ' सूरदेव ' तीर्थंकर होगा. ( ३ ) कोणिक नृप का पुत्र उदायिन राजा तीसरा ' सुपार्श्व ' तीर्थंकर होगा. ( ४ ) पोट्टिल अनगार का जीव चौथा 'स्वयंप्रभ' तीर्थंकर होगा. ' (५) दृढायु श्रावक का जीव पाँचवाँ ' सर्वानुभूतितीर्थकर होगा. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034546
Book TitleMahavir Jivan Prabha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagar
PublisherAnandsagar Gyanbhandar
Publication Year1943
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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