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________________ १५२] * महावीर जीवन प्रभा * १२. उद्योतन सरि-चौरासी गच्छ के संस्थापक, विद्यादान में अतिकुशल. १३. वर्धमान मूरि-आचारदिनकरादि ग्रन्थों के कर्ता, शासन सेवा में समर्थ. १४. जिनेश्वर सूरि-खरतर गच्छ के संस्थापक, अभयदेव सूरि के गुरुवर्य, चारित्र चूड़ामणि. १५. गंधहस्ति और शिलाङ्काचार्य-ग्यारह अंग सूत्र के समर्थ टीकाकार. १६. अभयदेवसूरि-नवाङ्गी टीकाकार, तीर्थोदारक और अनेक संस्कृत-प्राकृत ग्रन्थ के रचयिता. १७. मलयगिरी महाराज-नन्दीसूत्रादि के विस्तृत टीकाकार. १८. जिनवल्लभसरि-शास्त्रों के पूर्ण विद्वान् , चैत्यवासियों को परास्त करने वाले, शासन के परम मान्य. १९. युगप्रधान जिनदत्तसूरीश्वर-अनेक विद्याओं के ज्ञाता, १३०००० जन बनाने वाले, एकावतारी दादा गुरुदेव, चार नरेन्द्रों के प्रतिबोधक, संदेह दोहलावली आदि अनेक ग्रन्थों के निर्माता शासन सम्राट्. २०. हेमचन्द्राचार्य-तीन करोड़ श्लोक के रचयिता, प्रायः हरएक विषय के ग्रन्थ कर्ता, अठारह देशों के Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034546
Book TitleMahavir Jivan Prabha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagar
PublisherAnandsagar Gyanbhandar
Publication Year1943
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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