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________________ उपवास दिन X ३ ६ U ام १० ( ४१ ) संख्या १३६७ ६३० १११ १४ २५ १ १ उपवास दिन ११ १२ १३ १५ २५ ३० ३१ ३५ ४१ संख्या १ १ १ १ १ इसके अतिरिक्त उन्होंने ६ वर्षों तक एकान्तरकी तपस्या की और ६ वर्षों तक बेले २ की तपस्या । ७३ दिनकी लगातार तपस्या । ७३ दिनकी लगातार तपस्या कर चुकने पर सं० १६६० मिती चैत वदी ७ के दिन चाडवासमें आपका स्वर्गारोहण हो गया। तपस्याके ५६ में दिनसे उन्होंने जलको छोड़ और सब चीजोंके खाने पीने का त्याग कर दिया था । अन्तिम ७ दिनों में तो उन्होंने जल तकका भी त्याग कर दिया । गृहस्थाश्रम में भी उन्होंने ३० दिनकी तपस्या तथा अन्य फुटकर तपस्याएं की थीं । ऊपर में जैन श्वेताम्बर तेरापन्थी सम्प्रदायके साधुओं की तपस्याका सामान्य मात्र वर्णन दिया गया है । यहां यह भी बतला देना आवश्यक होगा कि इन तपस्याओं का उद्देश्य एक मात्र श्रात्मिक कल्याण ही है। पाठक ! सामाजिक, राजनैतिक तथा ऐसे ही अन्य उद्देश्योंसे किए गये उपवासोंसे अवश्य परि चित होंगे, परन्तु जैनेतर जनताको शायद यह मालूम न होगा कि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034529
Book TitleJain Shwetambar Terapanthi Sampraday Ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Sabha
Publication Year1945
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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