SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जैन शासन संस्था ५१] २८. देरासर में ल्पास्टीक, सनमाईका आदि अशुद्ध द्रव्य (पदार्थ) का उपयोग नहीं होता। २९. देरासर में सुविधा की अपेक्षा आध्यात्मिकता की प्रधानता को महत्व देना जरूरी है। ३० देरासर में ट्रांजिस्टर, टी. वी., माईक, वीडियो, टेप, फिल्म, पंखा, लाईट, ट्यूब, स्पीकर, घड़ियाल, झांझ, ढोल, नगाड़ा (बैटरी विद्युत संचालित) आदि वैज्ञानिक साधनों के उपयोग से आध्यात्मिकता नष्ट होती है । ३१. देरासर में बॉक्सिंग आर. सी. सी. लोहे बीम सिस्टम लेने से देरासर की आयु बहुत कम हो जाती है । ३२. देरासर में स्लीपर, मौजे आदि पहनकर नहीं जाया जाता। इसकी अपेक्षा देरासर में प्रवेश करते समय पैर धोने हेतु पानी की व्यवस्था रखनी चाहिये । ३३. भगनान के समक्ष साधु-साध्वी को नयस्कार (बमनवन्दन) अथवा खमासमण नहीं दिया जाता । धावण-श्राविका को भी प्रणाम नहीं किया जाता। ३४. प्रभु के सम्मुख हार नहीं पहना जाता। चांदला (तिलक) नहीं लगावा किया जाता। (जिनाज्ञा शिरोधार्य करने के प्रतीक स्वरूप चांदला) तिलक अलग से (प्रभु सम्मुख नहीं) लगाना (करना) चाहिये ।। ३५. देरासर में कुछ लोगों ने स्टेनलेस स्टील (दाग-धब्बाजंग रहित पक्के लौहे स्पात) के बर्तनों के उपयोग का प्रयत्न किया है, जो दोष पूर्ण है. अतः वहीवटदार (वहीवटकर्ता, व्यवस्थापक, प्रबन्धक, न्यासी) एवं आराधक वर्ग को इसे रोकना चाहिये। क्योंकि यह लौहा ही है । अतः इसका कोई उपकरण काम में न लें। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034526
Book TitleJain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankarlal Munot
PublisherShankarlal Munot
Publication Year1966
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy