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________________ श्री जैन शासन संस्था सूक्ष्म विचारक, विद्वदवयं, पंडित प्रवर अगाध धर्म निष्ठ श्री प्रभुदास बेचरदास पारेख, राजकोट के अगाध शास्त्र चितन के अधार पर स्व. परम पूज्य उपाध्याय श्री धर्म सागरजी म. सा के मार्ग दर्शन अनुसार परम पूज्यपंन्यास प्रवर स्व. गुरुदेव श्री अभय सागर जी म. सा. ने शास्त्राधार से इस पुस्तक की प्रथमावृत्ति विक्रम सं. २०१५ में प्रकाति करवाई धी जिसकी द्वितीयावृत्ति विक्रम सं. २०२२ में छयो । इस तृतीयावृत्ति में सात क्षेत्रादि को समझत (परिशिष्ट १), विक्रम सं. १९९० में राजनगर (अमदावाद) में अखिल भारतवर्षीय जैन श्वेताम्बर मुनि सम्मेलन के सर्वानुमत निर्णय अनुसार पट्टक रूप नियम (परिशिष्ट ४), विक्रम सं. २००७ में पालीताणा स्थित समस्त श्रमण संघ ने बाबु पन्नालाल की धर्मशाला में एकत्र होकर सर्वसम्मत निर्णय किया परिशिष्ट २), चुनाव पद्धति से हानि ( परिशिष्ट ३ ), विक्रम सं. २०१४ में राजनगर (अमदाबाद) में चातुर्मास बिराजमान श्री श्रमण संघ ने उहेला के उपाश्रय में एकत्र होकर सात क्षेत्रादि धार्मिक व्यवस्था का दिग्दर्शन निश्चित किया (परिशिट ४), तथा विधान का प्रारूप (परिशिष्ट ५ ), भी दिया गया है। विक्रम स. २०२० में राजनगर शांति नगर जैन उपाश्रय में पूर्व सूचना देकर श्री राजनगर के सभी उपाश्रय में विराजित पूज्य श्री श्रमण संघ ने गंभीर विचार विनिमय कर सर्वानुमति से जो अभिप्राय निश्चित किया उसके प्रकाश में पूज्य आचार्य श्री चन्द्र सागर सूरीश्वर जी म. सा. के शिष्यरत्न पूज्य गणि श्री धर्म सागरजी म. सा ने विक्रम सं. २०२२ वीर सं. २४९२ में श्री जैन श्वेताम्बर संघ की पेढ़ी, इन्दौर से "धर्म द्रव्य व्यवस्था" नामक गुजराती पुस्तक प्रकाशित करवाई, इन सबको प्रमुख बातों का सारांश एवं साथ ही मझे कुछ उपयोगी बातों का प्रकाशन वांछनीय लगा वह पूज्य आचार्य श्री सूर्योदय सागर सूरिजी म. सा. के मार्ग दर्शन में संशोधित करवाकर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034526
Book TitleJain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankarlal Munot
PublisherShankarlal Munot
Publication Year1966
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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