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________________ • पञ्चम अध्याय । ७२९ अब तेरी तकलीफ गई, कल्याण होगा तथा पाप और दुःख सब मिट गये, तू गुरुदेव की भक्ति कर तथा कुलदेव की पूजा कर, ऐसा करने से तेरे मन के विचारे हुए सब काम ठीक हो जायेंगे। २३१-हे पूछनेवाले! तुझे दोषों के बिना विचारे ही धन का लाभ होगा, एक महीने में तेरा विचारा हुआ मनोरथ सिद्ध होगा और तुझे बड़ा फल मिलेगा, इस बात की सत्यता का यही प्रमाण है कि-तू ने स्त्रियों की कथा की है अथवा तू स्वप्न में वृक्षों को, सूने घरों को, अथवा सूने देश को, वा सूखे तालाव को देखेगा। २३२-हे पूछनेवाले ! तू ने बहुत कठिन काम विचारा है, तुझे फायदा नहीं होगा, तेरा काम सिद्ध नहीं होगा तथा तुझे सुख मिलना कठिन है, इस बात की सत्यता का यह प्रमाण है कि-तू स्वम में भैंस को देखेगा। . २३३-हे पूछनेवाले ! तेरे मन में अचानक ( एकाएक ) काम उत्पन्न हो गया है, तू दूसरे के काम के लिये चिन्ता करता है, तेरे मन में विलक्षण तथा कठिन चिन्ता है, तू ने अनर्थ करना विचारा है, इस लिये कार्य की चिन्ता को छोड़ कर तू दूसरा काम कर तथा गोत्रदेवी की आराधना कर, उस से तेरा भला होगा, इस बात की सत्यता का प्रमाण यह है कि-तेरे घर में कलह है; अथवा तू बाहर फिरता है ऐसा देखेगा, अथवा तुझे स्वप्न में देवतों का दर्शन होगा। २३४-हे पूछनेवाले ! तेरे काम बहुत हैं, तुझे धन का लाभ होगा, तू कुटुम्ब की चिन्ता में वार २ मुझाता है, तुझे ठिकाने और जमीन जगह की भी चिन्ता है, तेरे मन में पाप नहीं है। इस लिये जल्दी तेरी चिन्ता मिटेगी, तू स्वप्न में गाय को, भैंस को तथा जल में तैरने को देखेगा, तेरे दुःख का अन्त आ गया, तेरी बुद्धि अच्छी है इस लिये शुद्ध भक्ति से तू कुलदेवता का ध्यान कर । २४१-हे पूछनेवाले! तुझे विवाहसम्बन्धी चिन्ता है तथा तू कहीं लाभ के लिये जाना चाहता है, तेरा विचारा हुआ कार्य जल्दी सिद्ध होगा तथा तेरे पद की वृद्धि होगी, इस बात का यह पुरावा है कि-मैथुन के लिये तू ने बात की है। २४२-हे पूछनेवाले! तुझे बहुत दिनों से परदेश में गये हुए मनुष्य की चिन्ता है, तू उस को बुलाना चाहता है तथा तू ने जो काम विचारा है वह अच्छा है, परन्तु भावी बलवान् है इस लिये यह बात इस समय सिद्ध होती नहीं मालूम देती है। २४३-हे पूछनेवाले! तेरा रोग और दुःख मिट गया, तेरे सुख के दिन भा गये, तुझे मनोवाञ्छित (मनचाहा ) फल मिलेगा, तेरे सब उपद्रव मिट गये तथा इस समय जाने से तुझे लाभ होगा। २४४-हे पूछनेवाले ! तेरे चित्त में जो चिन्ता है वह सब मिट जावेगी, कल्याण होगा तथा तेरा सब काम सिद्ध होगा, इस बात का पुरावा यह है कितेरे गुप्त अङ्ग पर तिल है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034525
Book TitleJain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreepalchandra Yati
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1931
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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