SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 705
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शुक्ल पक्ष ( सुदि) के करण । तिथि प्रथम भाग किंस्तुघ्न बालव तैतिल वाणिज 9 २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १० ११ १२ १३ १४ १५ पञ्चम अध्याय । करणों के बीतने का स्पष्ट विवरण । बब कौलव गर विष्टि बालव तैतिल वणिज बव कौलव गर विष्टि द्वितीय भाग बव कौलव गर विष्टि बालव तैतिल वणिज बव कौलव गर विष्टि बालव तैतिल वणिज अव तिथि प्रथम भाग कृष्ण पक्ष ( वदि) के करण । द्वितीय भाग कौलव Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १० ११ १२ १३ १४ ३० बालव तैतिल वणिज बव कौलव गर विष्टि बालव तैतिल वणिज बव कौलव गर विष्टि गर विष्टि बालव तैतिल वणिज बव कौलव गर विष्टि ६९१ बालव तैतिल वणिज शकुनि नाग चतुष्पद पूर्णिमा अमावस । शुभ कार्यों में निषिद्ध तिथि आदि का वर्णन । जिस तिथि की वृद्धि हो वह तिथि, जिस तिथि का क्षय हो वह तिथि, परिध योग का पहिला आधा भाग, विष्टि, वैधृति, व्यतीपात, कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (तेरस ) से प्रतिपद् (पड़िवा ) तक चार दिवस, दिन और रात्रि के बारह बजने के समय पूर्व और पीछे के दश पल, माता के ऋतुधर्म संबन्धी चार दिन, पहिले गोद लिये हुए लड़के वा लड़की के विवाह आदि में उस के जन्मकाल का मास; दिवस और नक्षत्र, जेठ का मास, अधिक मास, क्षय मास, सत्ताईस योगों में विष्कुम्भ योग की पहिली तीन घड़ियाँ, व्याघात योग की पहिली नौ घड़ियाँ, शूल योग की पहिली पाँच घड़ियाँ, वज्र योग की पहिली नौ घड़ियाँ, गण्ड योग की पहिली छः घड़ियाँ, अतिगण्ड योग की पहिली छः घड़ियाँ, चौथा चन्द्रमा, आठवाँ चन्द्रमा, बारठवाँ चन्द्रमा, कालचन्द्र, गुरु तथा www.umaragyanbhandar.com
SR No.034525
Book TitleJain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreepalchandra Yati
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1931
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy