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जैनसम्प्रदायशिक्षा ।
६-इस ऋतु में मिश्री, बूरा, कन्द, कमोद वा साठी चावल, दूध, ऊख, सैधा. नमक (थोडा), गेहू, जौं और मूंग पथ्य हैं, इस लिये इन को खाना चाहिये। ___७-जिसपर दिन में सूर्य की किरणें पड़ें और रात को चन्द्रमा की किरणें पड़ें, ऐसा नदी तथा तालाव का पानी पीना पथ्य है।
८-चन्दन, चन्द्रमा की किरणें, फूलों की मालायें और सफेद वस्त्र, ये भी शरद् ऋतु में पथ्य हैं।
९-वैद्यकशास्त्र कहता है कि-ग्रीष्म ऋतु में दिन को सोना, हेमन्त ऋतु में गर्म और पुष्टिकारक खुराक का खाना और शरद् ऋतु में दूध में मिश्री मिला कर पीना चाहिये, इस प्रकार वर्ताव करने से प्राणी नीरोग और दीर्वायु होता है।
१०-रक्तपित्त के लिये जो २ पथ्य कहा है वह २ इस ऋतु में भी पथ्य है। __इस ऋतु में अपथ्य-ओस, पूर्व की हवा, क्षार, पेट भर भोजन, ही, खिचड़ी, तेल, खटाई, सोंट और मिर्च आदि तीखे पदार्थ, हिंग, खारे पदार्थ, अधिक चरवीवाले पदार्थ, सूर्य तथा अग्नि का ताप, गरमागरम रसोई, दिन में सोना और भारी खुराक इन सब का त्याग करना चाहिये।
हेमन्त और शिशिर ऋतु का पथ्यापथ्य । जिस प्रकार ग्रीष्म ऋतु मनुष्यों की ताकत को खींच लेती है उसी : कार हेमन्त और शिशिर ऋतु ताकत की वृद्धि कर देती है, क्योंकि सूर्य पदार्थ की ताकत को खींचनेवाला और चन्द्रमा ताकत को देनेवाला है, शरद् ऋतुके लगते ही सूर्य दक्षिणायन हो जाता है तथा हेमन्त में चन्द्रमा की शीतलता के बढ़ जाने से मनुष्यों में ताकत का बढ़ना प्रारंभ हो जाता है, सूर्य का उदय दरियाव में होता है इसलिये बाहर ठंढ के रहने से भीतर की जठराग्नि तेज होने से इस ऋतु में खुराक अधिक हज़म होने लगती है, गर्मी में जो सुस्ती और शी काल में तेज़ी रहती है उस का भी यही कारण है, इस ऋतु के आहार विहार का संक्षेप से वर्णन इस प्रकार है:
१-जिस की जठराग्नि तेज़ हो उस को इस ऋतु में पौष्टिक खुराक बानी चाहिये तथा मन्दाग्निवाले को हलकी और थोड़ी खुराक खानी चाहिये, यदि तेज़ अग्निवाला पुरुप पूरी और पुष्टिकारक खुराक को न खाये तो वह अग्नि उर के
१-इम ऋतु में पेटभर खाने से बहुत हानि होती है, वैद्यकशास्त्र में कात्तिक वदि अरगी मे लेकर मृगशिर के आट दिन बाकी रहने तक दिनों को यमदाह कहा गया है, जो पुरुष इन दिने मे थोड़ा और हलका भोजन करता है वही यमकी दाद मे बचता हैं ।। २-शरीर की नीरोग्ता के लिये उक्त बातों का जो त्याग है वह भी तप है, क्योंकि इच्छा का जो रोधन करना (रं कना) है उसी का नाम तय है।
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