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________________ जैनसम्प्रदायशिक्षा | दुग्ध वर्ग । दूध का सामान्य गुण यह है कि दूध मीठा, ठंढा, पित्तहर, पोषण कर्त्ता दस्त साफ लानेवाला, वीर्य को जल्दी उत्पन्न करनेवाला, बलबुद्धिवर्धक, मैथुन शक्तिवर्धक, अवस्था को स्थिर करनेवाला, वयोवर्धक ( आयु को बढ़ानेवाला ), रसायनरूप, टूटे हुए हाड़ों को जोड़नेवाला, भूखे को बालक को और वृद्ध को तृप्ति देनेवाला, स्त्रीभोगादि से क्षीण को तथा जखमवाले को हित है, एवं जीपज्वर, भ्रम, मूर्छा, मनःसम्वन्धी रोग, शोष, हरस, गुल्म, उदररोग, पाण्डु, मूारोग, रक्तपित्त, श्रान्ति, तृषा, दाह, उरोरोग ( छाती के रोग, ) शूल, अध्मान (अपरा ), अतीसार और गर्भस्राव में दूध अत्यन्त पथ्य है, न केवल इन्हीं में किन्तु प्रायः सब ही रोगों में दूध पथ्य है; परन्तु सन्निपात, नवीन ज्वर, वातरक्त और कुष्ट आदि कई एक रोगों में दूध का निषेध है, यद्यपि नवीन ज्वर में तो कोनैन पर ड लोग दूध पिला भी देते हैं परन्तु सन्निपातकी अवस्था में तो दूध विप के मूल्य है यह निश्चित सिद्धान्त है, एवं सुजाक ( फिरंग ) रोग की तरुणावस्था में र्भ दूध हानिकारक है, जो लोग दूध की लस्सी बना कर पीते हैं वह गँठिया हो जाने का मूल कारण है, दूध में यह एक बड़ा ही अपूर्व गुण है कि यह अति शीघ्र धातु की वृद्धि करता है अर्थात् जितनी जल्दी दूध से धातु की वृद्धि होती है उतनी जल्दी अन्य किसी भी वस्तु से नहीं हो सकती है, देखो ! किसी ने कहा भी है कि"वीर्य बढ़ावन बलकरण, जो मोहि पूछो कोय । पय समान तिहुँ लोक में अपर न औषध होय" ॥ १॥ २१२ गाय के दूध में ऊपर लिखे अनुसार सब गुण हैं परन्तु गाय के वर्णभेद से दूध के गुणों में भी कुछ अन्तर होता है जिस का संक्षेप से वर्णन यह है कि: +-- काली गाय का दूध - वायुहर्त्ता और अधिक गुणकारी है । लाल गाय का दूध - वातहर और पित्तहर होता है । सफेद गाय का दूध -- कुछ कफकारी होता है तुरत की व्याई हुई गाय का दूध - तीनों दोषों को उत्पन्न करता है । विना बछड़े की गाय का दूध - यह भी तीनों दोषों को उत्पन्न करता है । भैंस का दूध - यद्यपि भैंस का दूध गुण में कई दर्जे गाय के दूध से मिलता हुआ ही है तथापि गाय के दूध की अपेक्षा इस का दूध अधिक मीठा, अधिक गाढ़ा, भारी, अधिक वीर्यवर्धक, कफकारी और नींद को बढ़ानेवाला है, वीमार के लिये गाय का दूध जितना पथ्य है उतना भैंस का दूध पथ्य नहीं है । १ -- सामान्यतया बाखड़ी गाय का ( जिस को ब्याये हुए दो चार महीने बीत गये हैं उस गाय का दूध उत्तम होता है, इस के सिवाय जैसी खुराक गाय को खाने को दी जावे उसी के अनुसार उस के दूध में भी गुण और दोष रहा करता है ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034525
Book TitleJain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreepalchandra Yati
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1931
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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