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पुस्तक परिचय.
(५) और जैन शास्त्रोसे ८६००० वर्ष हुवा जिसमें यतिजी ३० पीढी खतम करी है बलीहारी है यतिजीके इतिहासकी ।
(२) पँवारोंकी वंसावलिमे राजधूमसे ११ वी पीढीमें सोमदेव हुवा जिससे पॅवार जाति हुई सोमदेवके पुत्र सोढलसे सोढा जाती हुई धूमराजाकी तीसरी पीढीमें राजा धीरके पुत्र पुंडरिककी सातवी पीढीमें राजा गन्धर्वसेन हुवा उसके बाद क्रमशः पंच विक्रम और पांच भोज राजा हुवा अर्थात् धूमराजाके २१ वे पाट अन्तिम भोज हुवा धूमकी तीसरी साखामें २७ वी पीढीमें भीन्नमालका भीमसेन राजा २८ वी पीढीमे उपलदेव राजा हुवा जिसने ओशीयों बसाई । प्राचार्य श्री रत्नप्रभसूरिके उपदेशसे उपलदेवराजा जैन धर्म स्वीकार कीया इत्यादि। अब देखिये धूमराजा पँवारोके आदि पुरुष है यतिजी धमकी ११ वी पीढीमें पँवार हुवा लिखते है साढा जाती विक्रमकी बारवी सादीमें हुई जिसको विक्रम पूर्वे ८०० वर्षमे हुई लिखी है करीबन २००० वर्षका अन्तर है उपलदेवराजा विक्रम पूर्व ४०० वर्ष में हुवा जिसकोतो २८ वी पीढीमें लिखा है और उपलदेवराजाके बाद १५०० वर्ष पीछे हुवा भोजको २१ वी पीढीमें लिखा है इसमें करीबन् १७०० वर्षोंका फरक है इसी माफीक चौहान राठोड पडिहार शिशोदीयोंकी वंसावलियों लिखी है इतना ही अन्तर जैन जातियोंके बारामें लिखा है वह सब इस समालोचनाके पढनेसे ज्ञात होगा यहां पर तो हम नाम मात्र परिचय कराया है अस्तु । “लेखक.”.
__- POSci१ राजा भोजके देहान्त होने पर धारा कुँवरोंने छीन लीया बाद भोजके परिवार वालोर्स जैन वरदीया जाति हुई ईस्का समय यतिजीने वी. सं. ९५४ का लिखा है.
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