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________________ आप गिनती में प्रमाण मानते हैं या नहीं ? तथा गुजराती प्रथम भाद्रपद मास के दो पानिक प्रतिक्रमण में १५-१५ रात्रि दिन गिनती में बतलाते हो तो फिर दूसरे भाद्रपद अधिकमास में ८० दिने पर्युषण करते हुए इन उपर्युक्त पंद्रह दूने ३० रात्रि दिनों को गिनती में नहीं बतलाते हो, यह प्रत्यत मिथ्या प्रलाप है या नहीं ? और चतुर्दशी की वृद्धि होने पर सूर्योदययुक्त ६० घड़ी की संपूर्ण प्रथम चतुर्दशी पर्वतिथि को पाक्षिक प्रतिक्रमण पौषध आदि धर्मकृत्य निषेध कर पापकृत्यों से उस पर्वतिथि को आप लोग विराधना बतलाते हो और दूसरी को पाक्षिक कृत्य करते हो, तथा इस दृष्टांत से प्रथम भाद्रपद मास में ५० दिने पर्युषण करना निषेध कर दूसरे भाद्रपद अधिकमास में आगम-विरुद ८० दिने पर्युषण करने बतलाते हो, तो जैसे अमावास्या या पूर्णिमा की वृद्धि होने पर प्रथम अमावास्या या प्रथम पूर्णिमा में आप लोग पाक्षिक प्रतिक्रमणादि कृत्य करते हैं वैसे स्वाभाविक प्रथम भाद्रपद मास में ५० दिने पर्युषण सिद्धांत-संमत क्यों नहीं करते हैं ? श्रीज्योतिष्करंड पयन्ना की टीका में तथा श्रीसूर्यप्रज्ञप्ति और चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र की टीका में लिखा है कि अहोरात्रस्य ६२ द्वाषष्टिभागीकृतस्य सत्का ये ६१ एकषष्टिभागास्तावत् प्रमाणा तिथिः । अर्थ-दिनरात्रि के ६२ भाग करके, उनमें से ६१ भाग प्रमाण तिथि श्रीतीर्थकर गणधर आचार्य महाराजों ने प्रमाण मानी हैं । वास्ते चतुर्दशी की वृद्धि होने से सूर्योदययुक्त ६० घड़ी की सम्पूर्ण प्रथम चतुर्दशी पर्वतिथि को पातिक प्रतिक्रमण पौषधादि धर्मकृत्य निषेध करके पापकृत्यों से विराधना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034509
Book TitleHarsh Hriday Darpanasya Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharmuni Gani
PublisherBuddhisagarmuni
Publication Year
Total Pages87
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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