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________________ ( ३४ ) भावार्थ--उस काल उस समय में श्रमणभगवान् श्रीमहावीर प्रभु भाषाढ़ चतुर्मासी से २० रात्रि सहित ? मास वीतने पर वर्षावास के पर्युषण करते थे शिष्य गुरु से प्रश्न करता है हे भगवन् किस कारण से श्रीवीरमभु २० रात्रियुक्त १ मास होने पर वर्षाकाल के पर्युषण करते थे ? उत्तर-यतः प्रायः गृहस्थ लोगों के मकान कटयुक्त होते हैं और खड़ी से धवलित किये होते हैं, तृणादि से आच्छादित किये और गोमय [छान] से लिपे हुए होते हैं बाड़ करके गुप्त किये और विसम भूमि को तोड़ कर समभाग किये होते हैं और पाषाणसे घिसके कोमल किये और सुगंध के लिये धूप से वासित किये होते हैं। फिर किया है प्रणाली रूपजलमार्ग जिन्हों के वैसे होते हैं तद्वत् खोदा है खाल जिनका एवं उपर्युक्त प्रकार वाले मकान गृहस्थ लोगों ने अपने लिये अचित्त किये होते हैं (तिस कारण से साधु को अधिकरण दोष लगे) वास्ते हे शिष्य ! लौकिक टिप्पने की अपेतासे उप्त काल में श्रमण भगवान् श्रीमहावीरतीर्थकर वर्णकाल के २०दिनयुक्त ?मास व्यतिक्रान्त होनेपर पर्युषण करते यथा श्रमण भगवान् श्रीमहावीर प्रभु वर्षाकाल के २० रात्रि सहित १ मास वीतने पर वर्षावास के पर्युषण किये तथा गणधर भी वर्षाकाल के २० रात्रि सहित १ मास व्यतिक्रांत होने पर वर्षावाप्त के पर्युषण किये यथा गणधर भी वर्षा काल के २० रात्रि सहित ? मास होने पर यावत् पर्युषण किये तथा गणधर शिष्य भी वर्षाकाल के यावत् ५० दिने पर्युषण किये यथा गणधर शिष्य वर्षा काल के यावत् ५० दिने पर्युषण किये तथा स्थविर साधु भी वर्षावास के यावत् ५० दिने पर्युषण किये यथा स्थविर साधु वर्षाकाल के यावत् ५० दिने पर्युषण किये तथा जो यह अभी के काल के व्रत स्थविर श्रमण निग्रंथ विचर रहे हैं यह भी वर्षाकाल के यावत् ५० दिने श्रीपर्युषण पर्ष करते हैं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034509
Book TitleHarsh Hriday Darpanasya Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharmuni Gani
PublisherBuddhisagarmuni
Publication Year
Total Pages87
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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