SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १३ ) होता तो गुरु श्रीमोहनलाल जी महाराज की शास्त्र संमत. ५० दिने पर्युषण आदि खरतरगच्छ की समाचारी करने संबंधी आज्ञा का उल्लंघन कदापि नहीं करते किंतु श्रीतीर्थकर गणधर पूर्वाचार्य महाराज प्रणीत सूत्र नियुक्ति चूर्णि भाष्य टीकादि शास्त्र संमत ५० दिने पर्युषण आदि खरतरगच्छ की समाचारी करने की उक्त गुरु महाराज की आज्ञा को अंगीकार करते और गुरु महाराज के नाम से चरित्र में उक्त अनुचित उपदेश भी नहीं छपवाते क्या लोगों को मालूम नहीं थी कि श्रीमोहनलाल जी महाराज ने अपने खरतरगच्छ की समाचारी आज्ञानुवर्ति पन्यास श्री यशोमुनि जी आदि शिष्य प्रशिष्यों को करवाई है, यह तो सभी को मालूम होगई थी तो गुरु की आज्ञा से विरुद्ध हर्षमुनि जी ने बाल जीवों को भरमाने के लिये क्यों छपवाया कि यह मेरा गच्छ है इसको बढाना ऐसे आग्रह से जो संघ में भेद पाड़े वो साधु नहीं इत्यादि स्वकपोल कल्पित महा-मिथ्या लेख से क्या लाभ उठाया ? कुछ भी नहीं । [प्रश्न] लोकों को हर्षमुनिजी आदि कहते हैं किचंद्रवर्ष में मास वृद्धि नहीं होती हैं इसी लिये कार्तिक पूर्णिमा पर्यंत ७० दिन शेष रहते ५० दिने पर्युषण करते हैं और ५०. दिन के अंदर भी पर्युषण करने कल्पते हैं किंतु ५०वें दिन की रात्रि को पर्युषण किये विना उल्लंघनी कल्पती नहीं हैं इस प्राज्ञानुसार आषाढ़ चतुर्मासी से ८० दिने वा दूसरे भाद्रपद अधिक मास में ८० दिने पर्युषण करने युक्त नहीं है किंतु ५० दिने प्रथम भाद्र सुदि ४ को वा ५० दिने दूसरे श्रावण सुदि ४ को पर्युषण करने संगत हैं और तपगच्छ के साधु ५० दिने दूसरे श्रावण में अंचल तथा खरतरगच्छ वालों को पर्युषण कराते हैं तथापि इस विषय में तपगच्छीय श्री आत्मारामजी के Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034509
Book TitleHarsh Hriday Darpanasya Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharmuni Gani
PublisherBuddhisagarmuni
Publication Year
Total Pages87
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy