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________________ ૧૧૧ अलबत्ता उनके देव होजानेसे हमारे बहुत धर्मकार्यों में धक्का लगा. परमात्मासे प्रार्थना है कि उनकी आत्माको परमानंद मिले." રર અમદાવાદથી શેઠ કસ્તુરભાઈ મણિભાઈ— ભાવિ આગળ મનુષ્યને કંઈ ઇલાજ નથી. સર્વને Eिarसे आप.” ર૩ મુંબઈથી બાબુ સાહેબ જીવણલાલ પનાલાલજી પરમ કૃપાળુ પરમાત્મા એમના અમર આત્માને શાંતિ साये मेवी प्रार्थना छ. " ૨૪ આબુ-દેલવાડાથી રાજકુમારસિંહજી મુકિમ– "स्वर्गीय धर्मबीर महानुभाव शेठ बेनीचंदभाइ,ये महा उपयोगी धर्मकार्य करके अपना शुभ नाम अमर कर गए. पुन्य बन्ध करके जीवन सफल करा. मगर समाजमेंसे १ रनकी कमी हो गइ, इसका दिलको बडा खेद होता है. इनकी बेमारी पढकर दिल हुआ की-आकर असे पुरुषसे दर्श-फर्श करें.लेकिन वर्तमानपत्रमें उनके देहान्तका समाचार पढकर वडा रंज हुआ.अच्छे पुरुषोंका अभाव होताजाता है, ये कालधर्मका प्रभाव है. और सिवा शंतोषके और कोई उपाय : [य] नहीं चलता.आप कृपाकरके उनके सकुटुम्बको धैर्य दिलायेगा. और उनहीवत् धर्मकार्यमें तत्पर होनेको भलामन करयेगा. और ज्यादा क्या लिखा जावे ?" ૨૫ વડેદરેથી વીર ધર્મ ઉપાસક જન યુવક મંડળ “भारत वर्षा धर्मनिष्ठ, समय सने सायाधर्म Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034499
Book TitleDharmveer Sheth Venichandbhai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhudas Bechardas Parekh
PublisherJain Shreyaskar Mandal
Publication Year1928
Total Pages250
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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