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________________ चौलुक्य चंद्रिका आक्रमणके संबन्धम और द्वितीय बार बांसदाके राजके अस्तित्व संबंधमें दिल्ली के सुलतान अलाउद्दीनका उल्लेख कर चुके हैं। एवं संजाण पर आक्रमण करनेवाले मुसलमान सेनापति अल्लफखांको और मालवाके सुलतानोंका उल्लेख विस्तारके साथ किया गया है। पुनश्च वासुदेवपुरकी पुरातन राज्यधानी वसन्तपुरको लूटनेवाले अज्ञात शत्रुका विचार करते समय गुजरातके सुलतानोंका उल्लेख किया है। एवं अतः यहां पर भारत वर्ष में मुसलमान जातिके उत्कर्ष और पतन सम्बन्धमें कुछ विचार करना आवश्यक प्रतीत होता है। मुसलमान धर्मके संस्थापक हजरत मुहम्मद साहेबका जन्म अरबकी कुरेशी जातिमें विक्रम संवत् ६२८ में हुआ था। उन्होंने अपनी ४० वर्षको अवस्था में विक्रम संवत् ६६८ में अपनेको ईश्वरीय दूत घोषित कर उपदेश देना प्रारंभ किया था। उन्होंने लगभग १२ वर्ष पर्यन्त अपने मतका प्रचार किया। परन्तु विक्रम ६७६ में विरोधिओंकी प्रबलताके कारण उनको मक्का छोड़ मदीना जाना पड़ा । और उनके मक्कासे मदीना प्रवास (हिजरत) के उपलक्षमें हिजरी नामक संवत् उनके अनुयायियोंने चलाया, हिजरत करनेके ११ वर्ष बाद अर्थात् हिजरी सन ११ तदनुसार विक्रम ६८६ में हजरत मुहम्मद साहबका स्वर्गवास हुआ। हजरत मुहम्मद साहबकी गद्दीपर बैठनेवाले खलीफ़ा कहलाये। हजरत मुहम्मद साहबके चलाये धर्मको माननेवाले मुसलमान कहलाये। मुसलमानों की संख्या दिन दूनी और रात चौगुनी होने लगी। थोड़े समयके भीतर मुसलमान जाति एक बहुत बड़ा साम्राज्यकी भोगनेवाली हो गई। द्वितीय खलीफा उमरके समय (जिसका राज्य काल हिजरी १३-२०, तदनुसार विक्रम संवत् ६६१-७०१) लाट देशकी राजधानी भृगुकच्छ पर आक्रमण करनेको एक सेना जल मार्गसे और दूसरी स्थल मार्गसे भेजी गई। जल मार्गसे आनेवाली सेना थाना तक आई, परन्तु उसे वापस जाना पड़ा। एवं स्थल मार्गसे आनेवाली सेना सिन्धुमेही उलझ गई। ___ इस समयके पश्चात् मुसलमानोंके अनेक आक्रमण भारतपर हुए। परन्तु हमारे इतिहासके साथ उनका कुछभी संबंध नहीं है। अतः उसे पटतर कर आगे बढ़ते हैं। खलीफा हस्सामके समय (जिसका राज्यकाल हिजरी १०५ से १२० तदनुसार विक्रम ७८१-८०० पर्यन्त है) सिन्धके हाकिम जुनेदकी अध्यक्षतामें मुसलमानी सेनाने सिन्धसे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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