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________________ .. लाट वासुदेवपुर खण्ड वारोलिया का प्रथम लेख । (१) स व त श्री १ ३ ७ ३ का ति क कृष्ण (२) ७ श्री श्रा दि दे व य न मः । श्री (३) राज कृ ष्ण दे व त स्य--- श्री (४) मे म देव र ज स्या- स ज श्री रु ग्म (५) दे व रा ज --- श्री कृष्ण दें । (६) ब रा ज स्य क ला ण वि ज राजे परिष्कृत प्रतिलिपि संवत श्री १६७३ कार्तिक कृष्ण ७ श्री आदि देवाय नमः । श्री राजा कृष्ण देवतस्य (। त्मजो ) श्री मे म ( गेम वा भौम ) देव राजस्या (न्) मजः श्री रुग्मदेव स्तस्या (त्मजः) श्रीकृष्ण देव रजस्य कला (ल्या ) ण विज ( य ) राजे (ज्ये ) ॥ वारोलिया का द्वितीय लख (१) संवत १ ३ - ३ वर्ष का ति क कृ (२) ण ७ सी में श्री कृष्ण रा य देव स श्री (३) श्री उ द य रा ज पौत्र -- श्री कृष्ण (४) दे व रा जे न प्रतिष्ट तो यं श्री आद (५) देव स कृ त य.........च्च द्र के. (६) व तु श्री कृष्ण रा ज सू श मि ति. परिष्कृति लेख संवत १३-(७) ३ वर्षे कार्तिक कृष्ण ७ सोमे श्री कृष्ण रायदेव स (स्य ) श्री अयराज पौत्र ()-(ण) श्रीकृष्ण नेवराजे न प्रति (ठि) तोयं श्री भाव (दि) देवस ( सु) कृत(तो) --( याव) चंद्राक-- -(सेब स्थिति भ) बसु श्रीकृष्ण राजस्य शमिति । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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