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________________ लाट नन्दिपुर खण्ड - लाटपति चौलुक्यराज श्री त्रिविक्रमपाल शासन पत्र । विवेचन, प्रस्तुत लेख लाट नन्दिपुर के चौलुक्यराच त्रिविक्रमपाल कृत शुक्ल तीर्य अत्र स्थित सत्रवर्ती पाठशालाके विद्यार्थीओं के भोजनादि निर्वाहार्थ दनका प्रमाण पत्र है।यह शासन पत्र तांबे के दो पटों पर उत्कीर्ण है। पटों के। मध्य दों छीद्र हैं। उनमें कडीयां लगी हैं। कडीओं पर राजमुद्रा है। राजमुद्रा में राज्यचिन्ह रूप भगवान शंकरकी मूर्ति है। पटोंका आकार प्रकार १२४८ इंच है। लेखकी लिपी देवनागरी और भाषा संस्कृत है। लेख अद्यान्त-दान फलके दो श्लोकोंको छोड पद्यमय है । इसकी तिथि श्रावण शुक्ल षष्टि EEE शक है। इसका दृतक महादण्डाधिपति भीमराज-लेखक भूदेव और उत्कीर्णकार अल्लट है। अन्तमें शासन कर्ता त्रिविक्रमपालका हस्ताक्षर है। लेखका आरंभ "ॐ स्वस्ति जयोभ्युदयश्च" से किया गया है । पश्चात भगवान शंकरको नमस्कार और लेखकी तिथी शब्दो में है। अन्तमें शासन कर्ता का निवास नन्दिपुरमें बताने पश्चात वंशावली दी गई है। और वंशावली निम्न प्रकार से है। निम्बारक वा र पदे व गोगिराज की र्ति चंद्र वत्सराज त्रिभुवन पाल जगत्पान त्रिविक्रम पाल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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