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________________ चौलुक्य चंद्रिका ] विवेचन | प्रस्तुत लेख चौलुक्यराज नागवर्धन का दान पत्र है। इस के द्वारा दाताने कपालेश्वर महादेव के पूजनाचेन निर्वाहार्थ गोप राष्ट विषय का क्लेग्राम नामक ग्राम दान दिया है। लेख वर्तमान नासिक जिला के निर्माण नामक ग्राम से मिला था। इसका दोवार प्रकाशन बॅम्बे रायल एसिटिक सोसाइटी के जोर्नल मे हो चुका है। प्रथमवार बालगंगाधर शास्त्री ने भाग २ पृष्ट ४ और द्वितीय वार प्रो. भंडारकर ने भाग १४ पृष्ट १६ मे प्रकाशित किया था । लेख ८.५/८५.३/५ आकार के दो ताम्र पटोंपर उत्कीर्ण है। दोनो पट काडियोंके सयोग से जुड़े है। कडियो के उपर सज मुद्रा है। उसमे श्री जयाश्रय वाक्य अंकित है। उक्त वाक्य के पर चन्द्रमा और निम्न भागमे कमल की आकृति बनी है। प्रथम पटकी लेख पक्तियां १२ और द्वितीय: पट की १६ है । इस की शैली प्रचलित चौलुक्य शैली है। भाषा संस्कृत और लिपी गुजराती है। " लेख का प्रारम्भ चौलुक्यों के कुलदेव बाराह रूप भगवान विष्णुकी प्रार्थन और अन्त दान धर्म से किया गया है। लेख मे लेख की तिथि नहीं है । साथही लेखक और दूतक के परिचय का अभाव है । एवं प्रदत ग्राम की सीमा आदि भी नही दी गई है । कथित त्रुटियां विशेष चिन्तनीय है | भगवान बाराह की प्रार्थना के अनन्तर चौलुक्य वंश की परंपरा वर्णन करने पश्चात अश्वमेधावभृत्थ स्नान द्वारा शरीर पवित्र करनेका उल्लेख है। एवं उक्त प्रकारसे पवित्रभूत शरीरवाले राजा का नाम कीर्तिवर्म्मा अंकित किया गया है। लेख कीर्तिवम्मांके सत्याश्रय पुलकेशी और धरा जयसिंन नामक दो पुत्र बताता है । एवं दाता के पिता जयसिंह को लेख अपने बडे भाई पुलकेशी के शत्रुओं का नाश करने वाला प्रगट करता है। लेख मे दाता की वंशावली स पर्यंत निम्न प्रकार से है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ३२ वंशावली । सत्याश्रय कीर्तिवर्मा वल्लभ जयसिंह त्रिभुवनाश्रय नागवर्धन हम उपर बता चुके है कि लेख मे तिथि, लेखक और दूतक आदि का अभाव विशेष चिन्तनीय है । परन्तु हमारी समझ मे लेखका कीर्तिवर्मा का विरुद सत्याश्रय, पुलकेशी द्वितीयके घोडे का नाम चित्रकठ और धराश्रय जयसिंह को उसका भाई बताना इसे शंका महोदधी के www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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