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________________ सी इन वंशावलियों पर दृष्टिपात करने से इनकी एकता अपने आप सिद्ध हो जाती लाट नवसारिका के चौलुक्य वंश की वंशावली निम्न है । एवं इनके तारतम्य से प्रकार से पाई जाती है। परिष्कृत वंशावली विक्रमादित्य ( वातापि ) 1 विनयादित्य कीर्तिवर्मा 1 पुलकेशी 1 जयसिंह वर्मा (लाट ) 1 I शिलादित्य मंगलराज बुद्धवर्मा पुलकेशी नागवर्धन 1 विजयराज Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat विजयादित्य ताम्र पत्रों के पर्यालोचन से प्रगट होता है कि पुलकेशी की तुलना सूर्य कुल कमल दिवाकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और चन्द्र पौरव वंश विभूषण धर्मराज युधिष्ठिर के साथ की गई है । यदि वास्तवमें देखा जाय तो पुलकेशी कथित तुलना का भाजन अवश्य है क्योंकि चान्द्र पौरख वंश की युधिष्ठिर और महाभारत पश्चात क्रमशः अवनति होती गई थी, और उदयन के बाद तो वह एक प्रकारसे नष्ट ही हो गया था । क्योंकि इस वंशका मुख उज्वल करने वाला पुलकेशी का दादा पुलकेशी प्रथम है। चंद्र वंशमें युधिष्ठिर के बाद पुलकेशी सर्व प्रथम अश्वमेघ यज्ञ करने वाला किन्तु पुलकेशी द्वितीय ने चंद्रवंशको पांडवों के समान गौरव www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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