SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौलुक्य चन्द्रिका लाट नवसारिका खंड । युवराज शिलादित्य का दान पत्र । प्रथम पत्रक। १ ॐ स्वस्ति जयत्याविष्कृतं विष्णोराहं क्षोभितार्णवं । दक्षिणो न्नत दंष्टाग्रे वि २ श्रान्त भुवनं वपुः ।। श्रीनता सकल भुवन संस्तूयमान मानव्यस गोत्राए ३ हारिती पुत्राणां सप्त लोक मातृकाभिस्सप्त मातृकाभिर्वर्धितानां कार्तिकेय प ४ रि रक्षण प्राप्त कल्याण परंपराणां भगवन्नारायण प्रसाद समासा. दितवाराह ला ५ ञ्छनेक्षण वशीकृताशेषमहीभृतां चौलुक्य नामान्वये निज भुज बल पराजिता ६ खिल रिपु महिपाल समिति विराम युधिष्ठिरोपमान सत्य विक्रम श्री पुलकेशी वल्ल नः तस्य ७ पुत्रः परम महेश्वर मातापितृ श्री नागवर्धन पादानुध्यात् श्री विक्रमादित्य सत्या। ८श्रय पृथिवी वल्लभ महाराजाधिराज परप महेश्वर भट्टारकेन अनिवारित पौरुषा ६ क्रान्त पल्लवान्वयाज्यायला भ्रातासमभिवर्धित विभूनिर्धराश्रय श्री जयसिंह १० वर्मा तस्य पुत्रः शरदमल सकल शशधर मरीचिमाला वितान विशुद्ध कीर्ति पताका । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy