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________________ [ ३०० ] महाशयजीने शास्त्रानुसार ५० दिने पर्युषणा पर्व करने वालोंको मिथ्या आजाभङ्गका दूषण लगाके उत्सूत्र भाषणरूप ८० दिने पर्युषणा करनेका पुष्टकिया जिसकी आलो. धना लिये बिना कैसे आत्मका सुधार होगा सोन्यायदूष्टि वाले सज्जन स्वयं विचार लेखेंगे ;- अब छठे महाशयजी श्रीवल्लभविजयजीने दूसरे गुजराती भाषाके लेखमें मिथ्यात्वके झगड़े को बढ़ानेके लिये जो लेख लिखा है उसीका नमूना यहाँ लिख दिखा करके पीछे उसीकी समीक्षा करता हूं-नवेम्बर मासकी ७वीं तारीख सन् १९०९ गुजराती आश्विन वदी १ हिन्दी कार्तिक वदी १ वीर संवत् २४३५ का जैनपत्रके ३० वा अङ्कके पृष्ठ पांचमा • की आदिमें ही लिखा है कि, . [वन्दे वीरम्-लेखक मुनि वल्लभविजय मु. पालणपुर - सावधान ! सावधान !! सावधान !!! . ... आचार्य सावधान ! उपाध्याय सावधान ! पन्यास सावधान ! गणी सावधान ! साथसाध्वी सावधान ! यतीवर्ग सावधान ! श्रावक श्राविका सावधान ! शेठीयाओ सावधान ! कोन्फरन्स सावधान ! वकील प्लीडर सावधान ! बेरिस्टअटलो सावधान ! नाणा कोथली सावधान ! लागता वलगता सावधान ! कागज कलम सावधान ! खड़ीओ रुशनाई सावधान ! सावधान ! सावधान !! सावधान !!! तपगच्छमाम धरावनार सावधान ! खरतरगच्छीय सावधान ! छठे महाशयजीके इन अक्षरों पर मेरेको वड़ाही आश्चर्य उत्पन्न होता है कि श्रीवल्लभविजयजीको विवेक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034484
Book TitleBruhat Paryushana Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages556
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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