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________________ [ २ ] चौमासीसें दिनोंकी गिनती करके पचास दिनेही नियम करके पर्युषणा करनेका कहा है तथापि आप लोग दो श्रावण अथवा दो भाद्रपद होनेसे ८० दिने पर्युषणाकरने हो और ८० दिनके ५० दिन भोले जीवोंको दिखाते हो सो भी माया सहित उत्सूत्र भाषण हैं। ६ छठा-मासद्धिके अभावसे भाद्रपदमें पर्युषणा करनी कही है तथापि आप लोग मासवृद्धि दो प्रावण होते भी भाद्रपदमें पर्युषणा ठहराते हो सो भी उत्सूत्र भाषण है। सातमा-श्रीनिशीथ भाष्य १ तथा धूर्णिमें २ मीवरस्कल्पभाष्य में ३ तथा चूर्णिमें ४ और वृत्तिमें ५ श्रीसमवायाज जीमें ६ तथा तवृत्तिमें ७ इत्यादि अनेक शास्त्रों में मासद्धिके अभावसे चार मासके १२० दिनका वर्षाकालमें पचासदिने पर्युषणा करनेसें पर्युषणाके पिछाड़ी 90 दिम स्वभाविक रहते हैं जिसको भी आप लोग वर्तमान में दो बावणादि होने पांच मासके १५० दिनका वर्षाकालमें भी पर्युषणा पिछाड़ी ७० दिन रहनेका ठहराते हो सो मी उत्सूत्र भाषण है। ८ आठमा-अधिक . मास होनेसे प्राचीन काल में भी पर्युषणाके पिछाड़ी १०० दिन रहते थे तथा वर्तमानमें भी श्रावणादि अधिक मास होनेसें पर्युषणाके पिछाड़ी १००दिन शास्त्रानुसार युक्तिपूर्वक रहते हैं जिसको निषेध करते हो और १०० दिन मानने वालोंको दूषण लगाते हो तो भी उत्सूत्र भाषण हैं। नवमा-अधिक मासके ३० दिनोंका शुभाशुभकृत्य तथा धर्मकर्म और सर्व व्यवहारको गिनतीमें लेकर मान्य करते हो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034484
Book TitleBruhat Paryushana Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages556
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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