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________________ ( ६ ) वासाणं संवीसहराएमासे जाव पज़्जोसविंति । तहाणं गणहर सीसावि वासाणं जाव पज्जोसविंति ॥४॥ जहाणं गणहरसीसा वासाणं जाव पज्जोसविंति । तहाणं थेरावि वासावा संजाव पज्नोसविंति ॥५॥ जहाणं थेरा वासाणं जाव पज्जोसविंति । तहाणं जे इमे अज्जत्ताए समणा निग्गंधा विहरति एवि - अणं वासाणं जाव पज्जोसविंति | ६ || जहाण जे इमे अज्ज - साए समया निग्गंथावि वासाणं सबोसहराए मासे विहकुन्ते वासवासं पज्जोसविंति । तहाणं अम्हंपि आयरिया तवाया वासाण जाब पज्जोमविंति ||१|| जहाणं अम्हंपि आयरिया उवज्झाया वासाण जाव पज्जोसविंति । तहाण अम्हेवि वासाण सबसहराए मासे विक्कन्ते वसावासं पज्जेत्सवेमो । अंतरावियसे कप्पर मोसे कप्यइ तं रयणि वायणा वित्तए |॥८॥ इत्यादि · 9 भावार्थ:- तिसकाल तिससमयके विषे श्रमण भगवान् श्री महावीरस्वामी वर्षा संबंधी आषाढ़ चौमासीसे वीश दिन सहित एक मास याने ५० दिन जाने से वर्षावासमें पर्युष षणा करते भये ॥१॥ यहां पर शिष्य पूछता है कि भगवान् किस कारण से ऐसा कहते हो तब गुरु महाराज उत्तर देते हैं कि प्राय करके गृहस्थ लोग भगवान्का महातम् जान करके इस समय वर्षा बहुत होगी ऐसा विचार करके अपने घरोंको चटाइयोंसे आच्छादित करेंगे चूनादि से सपेदी करेंगे, घास तृणादिसे उपरमें बंदोवस्त करेंगे, गोबर से लिंपन करेंगे आसपास में वाड वगैरह से जाबता करेंगे, संची नीची भूमीको तोड़कर बराबर करेंगे, पाषाणादिसे घस करके श्रीकणी करेंगे, मकानोंको धूपादिले सुगंधयुक्त करेंगे और , Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034484
Book TitleBruhat Paryushana Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages556
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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