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________________ यी ३, और श्रीमिनदासगणि महत्तराचार्यजी पूर्वधर कत श्रीनिशीथसूत्रकी चर्णिमें ४, श्रीभद्रबाहु स्वामीजी कृत श्रीदशाश्रुत स्कन्ध सूत्रमें ५, श्रीपूर्वाचार्यजी कृत तत्सूत्रकीचूर्णिमे६, श्रीपाश्चंद्रगच्छके श्रीब्रह्मर्षिजीकृत तत्सूत्रकीकृत्तिमें,श्रीपूर्वा चार्यजी कृत श्रीवहत्कल्पसूत्र के लघभाष्यमद,शहदायमें, तथा चूर्णिमें १०, और श्रीतपगच्छके श्रीक्षेमकीर्तिसूरिणी कत श्री. हत्कल्पसूत्रको वृत्तिमें ११, श्रीसुधर्मस्वामीजी कृत श्रीसमवा. यांगजी सूत्र में १२,तथा श्रीखरतरगच्छ नायक सुप्रसिद्ध श्रीनवांगीकृत्तिकार श्रीअभयदेव सूरिजी कृत तत्सूत्रकी वृत्तिम १३, और उक्त महाराज कृत श्रीस्थानांगनीसुत्रकी पत्तिमें १४, श्रीभद्रबाहुस्वामी जी कृत श्रीकल्पसूत्र में १५, तथा नियुक्ति में १६, और श्रीखरतरगच्छके श्रीचिनप्रभसूरिजी कत श्रीकल्पसूत्रकी श्रीसंदेहविषौषधि वृत्तिम २७, तथा नियुक्तिकीकृत्ति १८, और विधिप्रपा नाम श्री समाचारी गन्थमैं १९, और श्रीखरतरगच्छ के श्रीलक्ष्मीवामभगणिजी कृत श्रीकल्पसत्रकी कल्पद्रमकलिकावृत्तिमें २० तथा श्रीखरतरगच्छके श्रीसमयसुन्दरजी कृत श्रीकल्पकल्पलतावृत्तिमें २१ और उक्त महाराज कृत श्रीसमाचारीशतकनाम ग्रन्थमें २२, श्रीतपगच्छके प्रोकुलमराठनसूरिजी कृत श्रीकल्पावचरिमें २३, तथा श्रीतपगच्छके श्रीधर्मसागरजी कृत श्रीकल्पकिरणावली वृत्तिमें २४, और श्रीनयविजयजी कृत श्रीकल्पदीपिकावृत्तिमें २५, और श्रीविनयविजयजी कृत श्रीमुबोधिकात्तिमें २६, श्रीसंघधिनयनी कृत श्रीकल्पप्रदीपिकावृत्ति २७, श्री विजयविमल गणिजी कृत श्रीगच्छाचारपयन्साकीकृत्तिमें २८ श्री अचलगच्छके बीउदयसागरजी कृत श्री कल्पावचूरिरूपत्तिौ २९,श्रीखरता Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034484
Book TitleBruhat Paryushana Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages556
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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