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________________ दशमः १०] भाषाटीकासमेतम् । (८१) जिस स्त्रीके हाथमें तलवार, गदा,निर्मल एवं तक्षिण कुंत, मृदंग, हरिण, शूलके समान रेखा हो तो वह स्त्री पृथ्वीपर सर्वदा धनदेनेवाली होवै ॥ ६३॥ वृषभेकवृश्चिकभुजङ्गजंबुकाः खरकङ्कपत्रशलभा बिडालकाः ॥ यदि वामपाणितलगा भवन्ति चेत् कलहेन सार्द्धमतिरोगकारकाः॥६४॥ जिसके बायें हाथकी हथेलीमें बैल, मेंडक, बिच्छु, सर्प,स्यार, गदहा, (कंकपत्रपक्षी) कैंचुआ, ( शलभ) टीडी, बिल्लीका चिह्न हो तो कलहकारिणी होवै तथा अतिरोगपीडित रहै॥ ६४ ॥ अडलिलक्षणम् । कोमलः सरलोंगुष्ठो वर्तुलो यदि योषिताम् ॥ क्रमादेवं कृशांगुल्यो दीर्घाकाराश्च वर्तुलाः ॥६५॥ पृष्ठरोमाः शस्तफलाश्चिपिटा उदिता बुधैः ॥ कृशाः कुंचितपर्वाणो ह्रस्वा रोगभयावहाः ॥६६॥ अनेकपर्वसंयुक्ता उन्नतांगुलयोऽशुभाः॥६७॥ यदि स्त्रीके अंगुष्ठ कोमल तथा सीधा और वर्तुलाकार (गोल) हों और अंगुली उससे क्रमकरके न्यून जैसे एकसे दूसरी कम होती जाएँ, तथा लंबे आकारकी वर्तुल (गोल) हों उनके पीछे रोम जमें हों एवं पृष्ठभाग उनका चिपिट( चौडा)स्वल्पमांसवाले हों तो शुभफल देते हैं ये शुभलक्षण हैं । यदि अंगुली माडी हो तथा उनके रेखाओंके बीचके पर्व टेढे हों तथा अंगुली छोटे कदकी हों तो रोगका भय देती हैं। यदि अंगुलियोंमें अनेक (पर्व) रेखा मध्य. स्थानमें हों तथा ऊंची हों तो अशुभफल देनेवाली होती६५-६७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034482
Book TitleBhavkutuhalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJivnath Shambhunath Maithil
PublisherGangavishnu Shreekrushnadas
Publication Year1931
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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