SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ षष्ठः ६] भाषाटीकासमेत् । (२५) शनिके क्षेत्र ॥। १० । ११ में हो तो वह मनुष्य वीर्य्यहीन ( नपुंसक) होवै ॥ ७ ॥ पुत्रसुखाभावयोगः | नीचे गुरौ भृगौ वापि समे ज्ञे विषमे रखौ ॥ तदा पुत्रसुखं न स्यादित्युक्तं गणकोत्तमैः ॥ ८ ॥ बृहस्पति अथवा शुक्र नीचका हो तथा बुध सम राशिमें, सूर्य विषम राशिमें हो तो पुत्रका सुख न होवे यह उत्तम ज्योतिषियोंका कथन है ॥ ८ ॥ षष्टिवर्षादूर्ध्वं पुत्रप्राप्तियोगः । कर्कटे तु कलानाथे पापयुक्तेक्षिते यदा ॥ मन्ददृष्टे दिवानाथे पुत्रः षष्टिमितेऽब्दके ॥ ९ ॥ चंद्रमा कर्कटका हो उसे पापग्रह देखें पापयुक्तभी हो और सूर्य पर शनि की दृष्टि हो तो ६० वर्षकी अवस्था में पुत्र उत्पन्न होवे ॥ ९ त्रिंशद्वर्षादूर्ध्वं पुत्रप्राप्तिः । पापभे पापसंयुक्ते जन्मलग्ने रवावलौ ॥ ॥ युग्मभे वसुधापुत्रे खगुणाब्दात्परं सुतः ॥ १ जन्मलग्न पापग्रहकी राशि हो तथा पापग्रहसे युक्त हो और सूर्य वृश्विकका, मंगल मिथुनका हो तो ( ३० ) वर्षसे ऊपर संतान होवै ॥ १० ॥ सन्तानाभावयोगः । अलौ गुरुकवी लग्रे भवेतां चद्रजार्कजौ ॥ न पश्यति सुतं गेहे कदाचिदपि मानवः ॥ ११ ॥ मन्देन्दुदृष्टो रिपुसंयुतोङ्गाधिपो रविश्शत्रुधने विपुत्रः ॥ मन्दोरिगेहे बुध सूर्यचन्द्रैर्दृष्टो विलग्रे खलवीक्षिते वा १२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034482
Book TitleBhavkutuhalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJivnath Shambhunath Maithil
PublisherGangavishnu Shreekrushnadas
Publication Year1931
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy