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________________ (६) भावकुतूहलम्- [संज्ञाध्यायःपर्यंत सूर्यकी, तथा विषमराशिमें पूर्वार्द्ध १५ अंशपर्यंत सूर्यकी उत्तरदल १५ अंशसे ३० पर्यंत चन्द्रमाकी होरा होतीहै, जैसे मेषके १५ अंशपर्यंत सूर्यकी, १५ से ऊपर चंद्रमाकी, वृषके १५ पर्यंत चन्द्रमा ऊपर सूर्यकी होराहै, ऐसेही सबके जानना । दृकाण प्रथम विभाग१० अंशपर्यंत उसी राशिके स्वामीका, द्वितीयभाग१० अंशसे२०अंशपर्यन्त उस राशिसे पंचमराशिके स्वामीका और तृतीय भाग २० से ३० पर्यंत उस राशिसे नवम राशिके स्वामीका द्रेष्काण होताहै । जैसे मेषके १० अंश पर्यंत मेषके स्वामी मंगलका, १० से २० लौं उससे पंचम सिंहके स्वामी सूर्यका, २० से ३० पर्यंत उससे नवम धनके स्वामी बृहस्पतिका हकाण होता है। नवांशक मेष, सिंह, धनको मेषसे, वृष, कन्या, मकरको मकरसे, मिथुन । तुला, कुंभको मिथुनसे । कर्क, वृश्चिक, मीनको कर्कटसे गिनना अर्थात् चर, स्थिर, द्विस्वभाव राशि तीन तीनका १।९।५ त्रिकोण मेल है, इनमें (चरादि) जो चरराशि हो उससे नवांश गिनाजाता है एक राशिके ३० अ-.. डाके ९भाग नवांश कहते हैं, वह च १० | चं० ७ ०१ विभाग ऐसे हैं कि, ३ अंश २० कलाका एक नवमांश हैं, ६।४०। पर्यत दूसरा, एवं १०।० तीसरा, अंश. १३ । २० चौथा, १६४० पंचम, कला. २०० छठा, २३२२० सातवां, २६ । ४० आठवां ३०० नवम भाग है. जैसे मेषके मेषहीसे गिनना है तो ३ अंश २० कला: पर्यत मेषका ६०४० क० पर्यंत वृषका, १०० में मिथुः नका, तथा वृषमें मकरसे गिनती है तो ३। २० पर्यंत मकरका, ६।४० लौं कुंभका इत्यादि । मिथुनमें ३॥ २० में तुलाका ६४० में वृश्चिकका इसी प्रकार जानना । द्वादशांश एक राशिके बारह नवांशगणना। १५।९ ।।६।१०।३७११४८१२ नवांशविभागः। २३२६३० ४०/०२०४०/०२०५010 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034482
Book TitleBhavkutuhalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJivnath Shambhunath Maithil
PublisherGangavishnu Shreekrushnadas
Publication Year1931
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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