SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उसी दिन त्रिशलामाता सर्व प्रकारके मनोथे वांच्छित कार्यो को पूर्ण करने वाले महामङ्गलीक कल्याणकारी. चौदह स्वनाम आनन्दित हुई उसीस. उसीका सर्व सिद्धा-त्रयोदशी ऐसा नाम प्रसिद्ध हुआ सोही. मैं भी मानता हूं। और हे प्रभो जिस चैत्र महिनेकी शुक्ल त्रयोदशी में आपका जन्म हुआ. तिस समवे याने मेरुपर जन्म महोत्सवके अवसरमें इन्द्रको शङ्का दूर करने के लिये आपने लीलारूपसे मेरुको कंपाय मान किया उसी में तो चित्र नाम कोई आश्चर्य नहीं हैक्योंकि तीर्थकरत्वपनेकी अनन्त शक्तिको दिखानेके लिये बायें पैरके अंगुठेको नीचा करके उसीको दबायाथा इसलिये उसी में तो आश्चर्य नहीं परन्तु आपके जन्म योगस मासको चित्रता आश्चर्य्यता प्राप्त हुई उसोस मासका नाम भी चत्र हो गया। अथवा अचल मेरुको चलाया ससीस पथव्यादि कंपने लगे जिससे लोगोंकों अश्चिर्य हैस्पन्म हुआ तिससे उसी मासको चैत्र कहते है। और है परमातम मीजिमेश्वर जिस मार्गशीर्ष मासकी कृष्ण दशमौके दिन सम्पूर्ण चारित्रके लक्षणोवाला तथा अति कठिण और उत्तम मोक्ष मार्गको किसीकीभी साह्यताबिना आपने उच्चत्वपने करके प्राप्तकिया अर्थात् अनेक तरहके बड़े बड़े उपसों को सहन करनेके लिये बहुत ही कठिण वृत्तिको आपने अंगीकार करी उसीके कारणसे महिनेकी कठिणता (मार्गशीर्षता) दुनिया में कही जातीहै सो युक्कहो है ॥ और हे प्रभो अहो. इति आश्चर्य जिस उत्सम वैशाख महिनेकी शुक्ल दशमी के दिन आपने शुद्ध ध्यानरूपी वनदण्ड करके.घाति कर्मरूपी समुद्रको मथन किया और.जन्म जरा मरणरूपी. रोगको नष्ट करनेवाला केवलज्ञान सपी उत्तम अमृतको आपने प्राप्त क्रिया, याने शुक्र ध्यान पातिकमों का नाश करके केवल . ज्ञान. पाये इसलिये तिने . .. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034474
Book TitleAth Shatkalyanak Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy