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________________ [ 506 ] पोताना जैनधर्ममा लाव्या, अने त्रिखंडोने प्रसाद, बिम्बो मादि थी सुशोभित कर्य अने अनार्य देशमा विहार करवानी स्थापना करी अवन्तिसुकुमाल अने बीजा घणाओने तेमणे जैन दीक्षित कर्या। १२, आर्यसुस्थित-(आ मुहस्तिना शिष्य हता। आर्य महागिरिने बहुल अने बलिस्सह नामना बे शिष्यो हता। वलिस्सह ना शिष्योनी टीप आवश्यक अने नन्दीसूत्रनी स्थविरावलिमा आपेल छे) आमने कोटिक अने काकन्डिक नाममा बे बिरुद हता। गोत्र व्याघ्रापत्य, गृहस्थ तरीके वर्ष ३१, व्रती तरीके १७ अने सूरि तरीके ४८ वर्ष रह्या अने वीर पछी ३१३ वर्षे ९६ वर्षनी वये पञ्चत्व पाम्या। मामनामाथी कोटिकगच्छ जन्म पाम्यो, आमना लघुभ्रातानु नाम सुप्रतिबुद्ध हतुं। १३, इन्द्र दिन। १४ दिन १५ सिंहगिरि-जातिस्मरण शामवान् । माखते पादलिप्ताचार्य, वृद्धवादिसूरि अने रद्धवादिसुरीना शिष्य सिद्धसेन दिवाकर (अपर नाम कुमुदाचार्य) थया। सिद्धसेन दिवाकरे उज्जयिनिना महाकाल मन्दिरमा रुद्रनु लिंग तोडी तेमाथी पोताना कल्याण मन्दिर स्तवनना प्रभाव पार्श्वनाथनी प्रतिमा प्रगट करी बातावी। तेणे वीरना निर्वाण पछी ४७० वर्षे विक्रमादित्य जैन बनाव्या। १६, वन-गोत्र गौतम पिता धनगिरि माता सुनन्दा, जन्म तुम्बवनग्राममा वीर पछी ४६ वर्षे थयो। गृहस्थ तरीके वर्ष व्रती तरीके ४४ वर्ष अने सूरि तरीके ३६ वर्ष रह्या। वीर पछी ५८४ वर्षे ८ वर्षनी उमरे कालवश थया। तेओ सिंह गिरि पासेयी ११ अङ्ग शिख्या, त्यार पछी तेओ १२ मुं दृष्टिवादांग दयपुर पी भवन्ति (उज्जयिनि) मां भद्रगुल पासे शिखबा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com (२०
SR No.034474
Book TitleAth Shatkalyanak Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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