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________________ [ ७०६ ] सोसाइटीनी मुंबई शाखा पासे (१२ मी डिसेंबर १८६० ने दिने) निबंध वांच्यो हतो तेमां तेणे मेरुतुङ्गनी थेरावलि अने बीजां पुस्तकाने आधारे जैमोना प्राचीन इतिहास पर घणो प्रकाश प्राइयों हतो । आ पृष्ठोमां जैनोना बे मुख्य गच्छ खरतर अने तप गच्छमी पहावलिओमांथी सौथी अगत्यनी तारीखकाल हुं आपोश आ सर्व २२ लिखीत प्रतोमाथी ठीधुं छे । तेनांथी २० प्रतो मुंबईथी, के. एम. चॅटफिल्ड मुंबईना केलवणी खाताना डायरेकटरनी सहायता थी मली के तेथी तेनो उपकार मानु छु अने बीजी बे प्रतो बर्लिनमांथी मेलवी छे । खरतर गच्छनी पहावलि । , महावीर - कुल इक्ष्वाकु, गोत्र काश्यप, पिता क्षत्रियकुण्ड ग्रामना राजा सिद्धार्थ, माता त्रिशला, जन्म चैत्र शुदि त्रयोदशमां, निर्वाण चतुर्थ आराना अंत पहेलां ३ वर्ष अने ८ ॥ महिनें पापाशहेर मां १२ वर्षनी उमरे कार्तिक अमावास्याने दिने, तेमने १९ शिष्यो ( गणधरो ) हता । तेना प्रथम शिष्य गौतम उर्फे इन्द्रभूति हता. तेमना गोत्रनु नाम गौतम, पितानुं नाम ब्राह्मण वसुभूति, मातानु नाम ब्राह्मणी पृथ्वी हतां, जन्म मगधदेशना गोबर ग्राममां थयो. निर्वाण वीरना निर्वाण पछी १२ वर्षे श्वषंनी उमरे राजगृहीमां पाया. गौतमे दीक्षित करेला साधुओ पोतानी पहेलां गत थवाथी, अने बीजा नव गणधरोम पोताना शिष्य साधुओ सुधर्माने सोंपी देवा थी, पांचमा गणधर सुधर्मानीपाट गणाई अने ते पाट पाँचमा आराना अंते घनार दुःप्रसहरि सुधी चालशे । वीर पछी १४ वर्ष गयां पछी जमालि नामनो पहेलो निन्हव जाग्यो, अने १६ वर्ष गयां पछी तिश्यगुप्त ( प्रादेशिक ) लामनो बीजो निन्हव थयो । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034474
Book TitleAth Shatkalyanak Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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